वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव, इसके कारण एवं बचाव

गहरी सांस लेना कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान है यह हम सब लोग जानते हैं, लेकिन क्या यह बात हमारे राष्ट्र के लिए सही है? क्या हमारे पास शुद्ध हवा है? विशेष रूप से उन शहरों में जो भीड़भाड़ वाले हैं, सार्वजनिक, वाहनों और उद्योगों से भरे हुए हैं? तो आपका सीधा सा जवाब होगा बिलकुल नहीं, और अगर ऐसा है तो हम बहुत बड़ी मुसीबत में हैं लेकिन हम इसे नज़रअंदाज़ कर रहे है, दोस्तों अगर समय रहते हमने इसका कोई समाधान नहीं निकाला तो आगे आने वाले समय में हमें बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है जिसका दृश्य बहुत ही भयानक होगा।

जैसा कि आप सब लोग समझ ही चुके होंगे आज हम बात कर रहे है वायु प्रदूषण के बारे में, जी हाँ दोस्तों वायु प्रदूषण आज के समय में हमारे लिए चिंता का विषय बन चुका है इसीलिए आज हम आपको वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव और इससे बचाव के कुछ नुस्खे बताने वाले हैं। इन नुस्खों का उपयोग करके न केवल आप वायु प्रदूषण से बचे रह सकते हैं बल्कि एक सुखी जीवन भी व्यतीत कर सकते हैं। तो आइये जान लेते हैं कि वायु प्रदूषण के हमारे स्वास्थय क्या-क्या प्रभाव हो सकते हैं और कैसे हमें इससे बचना है। साथ ही साथ हम आपको यह भी बताएंगे कि वायु प्रदूषण का अन्य जीवों तथा वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव - Effects of Air Pollution In Hindi

वैसे तो दोस्तों वायु प्रदूषण के प्रभाव अनगिनत हैं, लेकिन आज हम यहाँ सिर्फ उन प्रभावों कि बात करेंगे जिनका सीधा-सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है जोकि इस प्रकार हैं:-

1. वायु प्रदूषण का मनुष्यों पर प्रभाव

वायु प्रदूषण मनुष्यों पर कई तरह से प्रभाव डालता है, जिनमे से कुछ प्रभाव हमें तुरंत दिखाई देने लगते हैं जबकि कुछ प्रभाव लम्बे समय बाद दिखते हैं।

(a) वायु प्रदूषण के तुरन्त प्रभाव:-

शोधों से यह साबित हो चुका है कि अगर अधिक प्रदूषित वायु में साँस लिया जाय तो इसका हमारे शरीर पर तुरन्त प्रभाव पड़ता है, जिससे घुटन एवं बेहोशी होने लगती है। यहाँ तक कि डैम घुटने के कारण कई बार लोगों की जाने तक जा चुकी हैं। भोपाल गैस त्रासदी इसका एक दर्दनाक उदाहरण है। इसके कारण सैकड़ों श्रमिकों एवं कर्मचारियों की जानें गई हैं।

(b) वायु प्रदूषण के दीर्घावधि प्रभाव:-

लम्बे समय तक प्रदूषित वायु में साँस लेने से श्वसन एवं त्वचा सम्बन्धी रोग हो जाते हैं। इससे ब्रोन्काइटिस एवं फेफड़े का कैन्सर हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। श्वसन रोग में क्षय रोग (T.B.), डिफ्थीरिया, काली खाँसी, न्यूमोनिया आदि होने की सम्भावना होती है। त्वचा रोग में डरमेटाइटिस रोग हो जाता है।

2. वायु प्रदूषण का वातावरण पर प्रभाव

वायु प्रदूषण के कारण सूर्य के प्रकाश की मात्रा में कमी आ जाती है, जिससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रदूषक पदार्थ पत्तियों पर संग्रहीत होकर पर्णरन्ध्रों (Stomatas) को अवरुद्ध कर देते हैं, जिसके कारण वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) की प्रक्रिया अत्यन्त ही धीमी हो जाती है।

इतना ही नहीं, वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों के वर्षा के जल में विभिन्न गैसें तथा विषैले पदार्थ धुलकर बरसात की बौछार के साथ धरती पर गिरते हैं। वर्षा का जल पेड़-पौधों की जड़ों के द्वारा अवशोषित किया जाता है जिससे वे प्रदूषक पदार्थ भी जल के साथ पौधों के भीतर में प्रविष्ट हो जाते हैं। इनका दुष्प्रभाव पौधों पर पड़ता है तथा धीरे-धीरे वे हरे-भरे पौधे नष्ट हो जाते हैं।

3. वायु प्रदूषण का फसलों पर प्रभाव

वायु प्रदूषण के कारण पेड़-पौधे, फल, सब्जियाँ तथा सजावटी पुष्प (Decorative Flowers) व्यापक रूप से प्रभावित होते हैं। ओजोन की अधिकता के कारण तम्बाकू, टमाटर, मटर, चीड़, सदाबहार एवं अन्य पेड़-पौधे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण - Causes of Air Pollution In Hindi

वायु प्रदूषण के कारण कुछ इस प्रकार हैं:-

  1. बढ़ती हुई जनसँख्या
  2. बढ़ते हुए उद्योग
  3. संचार के साधन
  4. वाहनों का धुआं
  5. वनों की अंधाधुंध कटाई
  6. परमाणु परिक्षण
  7. तूफान के दौरान उड़ाने वाली धूल
  8. जंगलों में लगी आग
  9. ईंधन की जलन प्रक्रिया

वायु प्रदूषण से बचाव - Prevention From Air Pollution

  1. उचित वेंटिलेशन एवं वायु के शुद्धिकरण से प्रदूषित वायु को दूर किया जा सकता है।
  2. जन-जन में स्वास्थ्य के प्रति चेतना जागृत कर वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है। वायु प्रदूषण से होने वाले दुष्परिणामों से जनता को विभिन्न दृश्य-श्रव्य माध्यमों, जैसे-फिल्म, सिनेमा, दूरदर्शन, अखबार, रेडियो, पत्र-पत्रिकाएँ, बुलेटिन, पोस्टर, चार्ट आदि से अवगत कराना चाहिये।
  3. कोयला, धान की भूसी, लकड़ी, कंडी आदि ईंधन के स्थान पर विद्युत् एवं प्राकृतिक गैसों का उपयोग करना चाहिये।
  4. अधिक संख्या में वृक्षों को लगाकर वायु की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। पौधे O2, एवं CO2, के सन्तुलन के लिये आवश्यक हैं। घरों में भी पौधों को लगाना चाहिये।
  5. औद्योगिक संस्थानों में धुआँ निकालने वाली चिमनियों एवं ऐसे उपकरणों को लगाना चाहिये, जिससे वायु प्रदूषण कम हो।
  6. कृषि एवं औद्योगिक व्यर्थ पदार्थों को खुले मैदानों में नहीं जलाना चाहिये।
  7. सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पूर्णत: वर्जित होना चाहिये।
  8. कानूनी स्तर पर औद्योगिक एवं रासायनिक कल-कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैसों पर प्रतिबन्ध लगना चाहिये तथा उन्हीं औद्योगिक एवं रासायनिक कारखानों को खोलने की अनुमति देनी चाहिये, जो यह प्रमाण-पत्र (Certificate) दे सकें कि उद्योगों से निकलने वाली गैसें व अन्य वर्त्य पदार्थ वायुमण्डल में प्रदूषण नहीं फैलायेगा।
  9. CO2, की अधिकता को रोकने के लिये भूमि के एक तिहाई क्षेत्र में पेड़-पौधे लगाने चाहिये।
  10. औद्योगिक संस्थानों से निकले हुये प्रदूषकों को वायुमण्डल में काफी ऊँचाई पर विसर्जित करना चाहिये, इससे उनका सान्द्रण (Concentration) कम हो जाता है। औद्योगिक संस्थानों एवं रासायनिक कल-कारखानों के आस-पास पेड़-पौधे अवश्य लगाने चाहिये। पौधे भी कुछ जहरीली गैसें जैसे कार्बन-डाइऑक्साइ (CO2) को अवशोषित कर लेते हैं।
  11. मोटर वाहन अधिनियम, 1986 (Motor Vehicle Act, 1986) की पालना कठोरता से करनी चाहिए, और काम से काम वाहनों का उपयोग करना चाहिए।

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