जो विशेष रोग केवल वायु के कुपित होने पर होते हैं। उन्हें वात व्याधि या वायु के रोग कहते है।
1। सामान्य 2। नानात्मज।
1। सामान्य- सामान्य रोग वातादि एक दोष से, दो दोषों से या तीनों दोषों से होते हैं। जैसे बुखार, दस्त आदि।
2। नानात्मज - नानात्मज रोग केवल एक ही दोष से पैदा होते हैं। जैसे लकवा, अर्दित, केवल वायु के ही कारण होते हैं। पित्त एवं कफ से नहीं। इसी तरह जलन, पाक आदि पित्त से ही तथा आलस्य, गुरूता केवल कफ से ही पैदा होती है। चरक ने इन नानात्मज विकारों की संख्या वात, पित्त, कफ के क्रम से अस्सी, चालीस एवं बीस कही है।
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