नाड़ी दबाव (सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप के बीच अंतर) उच्च रक्तचाप वाले बुजुर्गों में अक्सर बढ़ जाता है। इस स्थिति में ऐसा सिस्टोलिक दबाव हो सकता है जो कि असामान्य रूप से उच्च हो, लेकिन डायस्टोलिक दबाव सामान्य या कम हो सकता है।
सारे शरीर के रक्त संचार के लिए जिस दवाब की आवश्यकता पड़ती है उसे रक्तचाप कहा जाता है। रक्तचाप को दो स्तरों पर पाया जाता है, पहला वह जब हृदय सिकुड़ता है (सिस्टोलिक) और दूसरा वह जब सिकुड़ने के बीच की अवधि में हृदय आराम करता है। (डायस्टोलिक) औसत रूप से सिस्टोलिक चाप, पारे से बने मीटर में 120 मिलिमीटर माना जाता है
जबकि डायस्टोलिक चाप का सामान्य औसत इसी मीटर में 80 मिलिमीटर माना जाता है। सामान्य या स्वस्थ रक्तचाप 120/80 तक होता है। जब डायस्टोलिक चाप 70 या उससे ऊंचा हो जाता है, तब रक्तचाप को उच्च रक्तचाप कहा जाता है और इसका बढ़ना खतरनाक बीमारी है।
अभी तक डॉक्टरों को इसके सही कारणों का पता नहीं चला है। लेकिन यह समझा जाता है कि कुछ विशिष्ट रक्त वाहिकाओं के संकुचन तथा संभवत: गुर्दो की गड़बड़ी के कारण उच्च रक्तचाप होता है। रक्तचाप क्या होता है, इस रहस्य का पूरी तरह अभी पर्दाफाश नहीं हो सका है और कमोबेश यह एक रहस्य ही है।
साधारणत: जीवन के तीसरे दशक में यह हो जाता है, लेकिन यह किसी भी आयुवर्ग में हो सकता है। ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती है, उच्च रक्तचाप की सम्भावनाएं बढ़ती चली जाती हैं। आज तक किये गये अधिकांश अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि उच्च रक्तचाप आनुवांशिकी होता है। अधिकांश मामलों में यह देखा गया है कि उन व्यक्तियों को उच्च रक्तचाप अधिक होता है, जिनके मां-बाप को यह रोग रहा हो।
इनमें से एक या सभी लक्षणों के उभरते ही डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होता है। कभी-कभी किन्हीं अन्य बीमारियों में भी यह लक्षण पाये जाते हैं।
गुर्दो पर भी उच्च रक्तचाप का घातक असर पड़ सकता है। उच्च रक्तचाप की दशा में गुर्दो की सूक्ष्म धमनियों का विनाश होने लगता है और अन्ततः गुर्दे शरीर की गन्दगी को छानना बन्द कर देते हैं और ऐसी दशा में मरीज की मौत हो जाती है।
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सफल इलाज के लिए डॉक्टरी नुस्खे ही काफी नहीं हैं बल्कि रोगी का सहयोग भी नितान्त आवश्यक है। डॉक्टर की सलाह कदम-कदम पर मानना आपको रोग मुक्ति में सहायता करता है। उच्च रक्तचाप का उपचार डॉक्टर की सहायता या सलाह के बिना कभी नहीं करना चाहिए। अगर आप डॉक्टर की राय को माना हैं तो आप अधिक समय तक जीवित रहने की गारण्टी प्राप्त कर लेते हैं।
अगर आप उच्च रक्तचाप के रोगी हैं, तो हमेशा वह भोजन करें, जिसकी डॉक्टर ने सिफारिश की हो। बिना डॉक्टर से पूछे अपने भोजन में परिवर्तन न करें। अगर आपको डॉक्टर कहे कि आपको अपना वजन कम करना है तो आप जरूर अपना वजन कम करें। मोटापा उच्च रक्तचाप में घातक होता है। हो सकता है कि आपको नमक बिल्कुल छोड़ने की सलाह दी जाये। इस स्थिति में अपनी जबान पर काबू रखना दीर्घ जीवन की गारण्टी होगी। भोजन में चिकनाई बहुत कम लीजिए और स्वयं अपने डॉक्टर कभी मत बनिए।
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