मासिक धर्म का थोड़े समय तक रुक-रुक कर दर्द के साथ स्राव का होना, कष्टार्तव कहलाता है।
कष्टार्तव चार प्रकार के होते है
1. रक्त के साथ कष्टार्तव - यह अधिक आयु की स्त्रियों में पाया जाता है। इसमें मासिक धर्म शुरू होने के तीन-चार दिन पहले कमर व पेट के निचले भाग में दर्द होता है जो मासिक धर्म शुरू होने पर बंद हो जाता है।
2. मरोड्युक्त कष्टार्तव - यह लड़कियों का रोग है जो मासिक आने के दो-तीन वर्षों के अंदर ही होता है। मासिक के समय मरोड़ के साथ बहुत दर्द होता है जो 24-48 घंटे तक रहता है। यह रोग गर्भाशय की बनावट में विकार आने पर भी होता है। दुबली-पतली थकी लड़कियां इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं।
3. कला युक्त कष्टार्तव - इसमें अति कष्ट के साथ गर्भाशय की अंदर की झिल्ली टूट-टूटकर मासिक रक्त के साथ निकलती देखी जा सकती है।
4. बीजग्रंथि कष्टार्तव - लगभग आधी रोगिणी इसी प्रकार की मिलती हैं। इसमें दर्द आर्तवकाल के दो-तीन दिन पहले ही शुरू हो जाता है।
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