कुपोषण से तात्पर्य कुछ पोषक तत्वों के बहुत कम या बहुत अधिक होने से है। विकासशील देशों में कुपोषण बहुत से महत्वपूर्ण रोगों की जड़ है, विशेषकर बच्चों की अधिकांश बीमारियाँ कुपोषण का दुष्परिणाम होती हैं। प्रति वर्ष लाखों व्यक्ति कुपोषण जन्य रोगों से मरते हैं। भोजन में विटामिन 'ए' की कमी के कारण भारत में प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार बच्चे अंधे हो जाते हैं। इसके अलावा यहाँ अधिकतर गर्भवती महिलाएं और यहाँ तक कि वयस्क पुरुष भी कुपोषण के शिकार रहते हैं। इन तथ्यों से सहज ही अन्दाज लगाया जा सकता है कि कुपोषण कितना घातक है।
कुपोषण क्या होता है? कुपोषण से तात्पर्य कुछ पोषक तत्वों के बहुत कम या बहुत अधिक होने से है। शरीर को आवश्यकता के अनुसार सभी पोषक तत्वों संतुलित भोजन का न मिलना या शरीर द्वारा उनका अवशोषण न हो पाना ही कुपोषण है।
बचपन के दौरान कुपोषण न केवल दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, बल्कि शैक्षिक चुनौतियों और भविष्य में काम के अवसरों को भी सीमित कर सकता है। कुपोषित बड़े बच्चों से ज्यादा अक्सर छोटे बच्चे होते हैं।
एक संतुलित भोजन वह है जो हमारे शरीर को सही तरीके से काम करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते है। शरीर के उचित पोषण और विभिन्न क्रियाओं को ठीक से सम्पादित करने के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन्स एवं खनिज लवणों तथा पानी को उचित मात्रा में लेना आवश्यक है।
केवल एक दो खाद्य पदार्थों से उक्त सभी चीजें प्राप्त नहीं हो सकतीं। इस लिए सन्तुलित आहार में उपरोक्त वर्णित सभी तत्व आवश्यक मात्रा में होना जरूरी है। ऐसा आहार जिसमें इन सभी तत्वों की उचित मात्रा में पूर्ति होती है सन्तुलित आहार कहलाता है। यदि उचित मात्रा में उक्त खाद्यों को न लिया जाए तो शरीर कुपोषण-ग्रस्त हो जाता है।
संतुलित आहार (भोजन) में प्रमुख रूप से 6 तत्त्व होते हैं - इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है :
एक वयस्क व्यक्ति को औसतन 24 से 3 लिटर तक पानी एक दिन में पीना चाहिए। कुछ बीमारियों जैसे दस्त लगने या उल्टी होने की दशा में शरीर से पानी निकल जाता है, तब ज्यादा पानी की जरूरत पड़ सकती है।
कुपोषण के प्रमुख कारण है गरीबी धन के अभाव में लोगों को पर्याप्त पौष्टिक तत्वों से युक्त भोजन जैसे दूध, फल इत्यादि उपलब्ध नहीं हो पाते। इसके अलावा अज्ञानता भी एक बड़ा कारण है। लोगों को सन्तुलित भोजन के बारे में जानकारी नहीं होती इसलिए वे जो मिलता है, खाते रहते हैं। वे भोजन में जरूरी पोषक तत्वो को शामिल करने का प्रयास ही नहीं करते। इनके अलावा कुछ और कुपोषण के कारण निम्नलिखित है।
यदि किसी व्यक्ति में नीचे दिये गए लक्षणों में से एक या अधिक लक्षण दिखें तो उसे इस बारे में अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। वह पोषक तत्व की कमी का पता लगाकर दवाइयाँ और आहार में आवश्यक सुधार के बारे में आपको बताएँगे।
यदि शरीर को लम्बे समय तक पर्याप्त पोषक तत्वों से युक्त आहार न मिले तो कुपोषण के लक्षण दिख सकते हैं जैसे-
प्रोटीन्स और चर्बी के लिए माँसाहार की बजाय शाकाहारी भोजन अपनाना ज्यादा फायदेमन्द है। इसके लिए कुपोषण को दूर करने के उपाए निम्न तरह से अपनाने चाहिए-
पूछें गए सवाल