संस्कृत में दाल चीनी को दारूसिता, उत्कठ, गुडखक, त्वक्, चोंच आदि नामों से पुकारा जाता है। यह हिमालय प्रदेश, श्रीलंका, मलाया आदि प्रायदीप में पाई जाती है। औषधि के लिए श्रीलंका की दालचीनी सर्वोत्तम मानी जाती है। यह मोटी, कम तीक्ष्ण तथा जल के साथ पीसने पर लुआबदार हो जाती है। इस दालचीनी के वृक्ष के पत्तों का प्रयोग ‘तेजपत्र' के रूप में किया जाता है। भारत और चीन में पाई जाने वाली दालचीनी पतली, अधिक मीठी और कम तीक्ष्ण वाली होती है। इसे से तेल नहीं निकाला जा सकता। यह वृक्ष की एक प्रकार से छाल ही होती है जो उसके तने और डालियों से उतारी जाती है। इसका प्रयोग मसालों में भी किया जाता है। इसका वृक्ष सदैव हरा-भरा रहता है जो 20-25 फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियों के मलने पर तीव्र गंध आती है। प्राय: इसका स्वाद कटु होता है। इसके पुष्प गुच्छों के रूप में लगते हैं जो दुर्गन्धयुक्त होते हैं। इस वृक्ष पर लगने वाले फल आधा व एक इंच लंबे होते हैं। उनका आकार अण्डाकार और रंग बैंगनी होता है। फलों को जब तोड़ा जाता है तब उसमें से तारपीन के तेल की सी गंध आती है।
दालचीनी हृदय रोग कें बड़ी लाभकारी है। यह पित्त को शांत करती है, वेदना को रोकती है, मुख की बदबू को दूर करती है, भोजन को जल्दी पचाती है, वायु विकार को दूर करती है। अतिसार,संग्रहणी, वमन, अफारा, बंद आवाज, कफ, विष, चर्मरोग आदि में बड़ी सहायक होती है। इसकी तासीर गर्म होती है।
एक कप पानी में दो चम्मच शहद तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिलाकर रोज दिन में तीन बार प्रयोग करने से खून में कोलेस्ट्राल कम होता है। इसके चूर्ण को प्रात: चाय में मिलाकर पीने से भी कोलेस्ट्राल कम होता है जो हृदय रोग के लिए मुख्य कारण होता है। इसके पीने से हृदय को उष्णता प्राप्त होती है।
दालचीनी के 5 ग्राम चूर्ण में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) चाटने से उपर्युक्त रोगों का शमन हो जाता है।
आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण में आधा चम्मच पिसा कत्था मिलाएँ और जल के साथ उनकी फंकी ले लें। दिन में दो-तीन बार लें। इससे दस्त बंद हो जाते हैं और बवासीर' आदि बीमारी में भी लाभ होता है।
पेट में यदि मरोड और दर्द हो तो दालचीनी के चूर्ण में मिश्री मिलाकर पानी के साथ सेवन करें। दर्द और मरोड़ दूर हो जाएगा। दालचीनी और मिश्री की मात्रा लगभग एक चम्मच लें।
दालचीनी के चूर्ण को शहद में मिलाकर चर्म रोग यानि दाद, खाज, खुजली के स्थान पर लगाएँ। इससे कुछ ही समय में दाद, खाज, खुजली आदि त्वचा संबंधी रोग नष्ट हो जाते हैं।
दालचीनी 4 ग्राम, लौंग 5 नग, सौंठ 3 ग्राम, तीनों को एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी चौथाई रह जाए तब उसे उतार लें। इसको दिन में 2-3 बार देने से ‘नजला जुकाम' और 'ज्वर' जैसे रोग नष्ट हो जाते हैं। तेजपात का चूर्ण 2 चम्मच, शहद के साथ लेने पर खाँसी में बड़ा आराम मिलता है।
इस दर्द में रोगी तड़पता है। इसकी लहर शरीर के किसी एक हिस्से में बड़ी तीव्रता के साथ बहती है। इस दर्द को दूर करने के लिए दालचीनी का चूर्ण बनाकर पहले से ही शीशी में भरकर रख लेना चाहिए। जब दर्द उठे, तब आधा कटोरी गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद मिला लें और उसमें एक चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर मिला लें। जहाँ दर्द हो रहा हो वहाँ पर इस जल की धीरे-धीरे मालिश करें। एक दो मिनट में ही दर्द खत्म हो जाएगा। दिन में एक कप गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिलाकर नियमित रूप से सेवन करने पर पुराने-से-पुराना जोड़ का दर्द ठीक हो जाता है। इसे ‘संधिवात' रोग भी कहते हैं।
मुटापा से मुक्ति के लिए प्रतिदिन नाश्ते से आधा घंटा पूर्व खाली पेट और रात को सोने से पहले शहद और दालचीनी के समभाग चूर्ण एक-एक चम्मच को एक कप पानी में मिलाकर उबालें और उसका काढ़ा बनाकर पी लें। इससे कैसा भी मोटापा क्यों न हो, एक माह में काफी घट जाएगा। इसका शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
शहद और दालचीनी का प्रयोग आदमी को निरोगी ही नहीं, उसे दीर्घजीवी भी बनाता है। इसके सेवन से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है, प्यास कम लगती है और आंखों की ज्योति बढ़ जाती है। दस्त में भी आराम आता है। शरीर की चर्बी घट जाती है, जिससे हृदय रोग' नहीं होता।
यह जान लेवा बीमारी है। उदर और हड्डियों में यदि किसी को भी कैंसर हो तो उसे एक चम्मच दालचीनी और एक चम्मच शहद का प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिए। इसे दिन में तीन चार बार अवश्य लें।
एक चम्मच दालचीनी के चूर्ण को तीन चम्मच शहद में मिला लें। इस पेस्ट को रात्रि में चेहरे पर अच्छी तरह मलकर सो जाएँ। प्रात:काल उठकर बेसन या सादे गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें। दस-पंद्रह दिन इसका प्रयोग करें। कील-मुँहासे गायब हो जाएँगे और चेहरा खिल उठेगा।
शहद और दालचीनी के चूर्ण का नियमित सेवन करने से पौरुष शक्ति बढ़ जाती है और स्तम्भन होने से सहवास आदि में पूर्ण सुख की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से दो चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी के चूर्ण का प्रयोग रात्रि में सोने से पहले करने पर नपुंसक व्यक्ति भी घोड़ा दौड़ाने लायक हो जाता है। इससे अण्डकोशों और पुरुष जननेद्रिय में जबरदस्त शक्ति पैदा होती है।
लौंग के गर्म किए आधा चम्मच तेल में एक चम्मच दालचीनी का चूर्ण और एक चम्मच शहद मिलाकर रात्रि में सोने से पहले सिर की अच्छी तरह मालिश करें। सुबह होने पर शीतल या गुनगुने पानी से सिर को धो लें। बालों का झड़ना बंद हो जाएगा।
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