प्रत्येक मां यदि चाहे और प्रयत्न करे तो वह अपने बच्चे को दूध अवश्य पिला सकती है मां की गोद में बच्चा तो हो, पर उस बच्चे के लिए मां के स्तनों में दूध न हो, सृष्टिकर्ता कभी ऐसी अन्याय नहीं करता। सच तो यह है कि इसके लिए माताएं ही दोषी हैं यदि प्रत्येक भावी मां ऊपर के बताये हुए ढंग से भोजन करे और स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का पालन करे तो हम उसे विश्वास दिलाते हैं कि वह अवश्य ही अपने बच्चे को दूध पिला सकेगी।
जिन स्त्रियों के दूध कम होता है, यदि वह भी अपना भोजन सुधार लें तो अपने बच्चे को यथोचित मात्रा में दूध पिलाने के योग्य बन सकती हैं।
1। चावल और थोड़ा सफेद जीरा दूध में डालकर खीर बनाएं। इस खीर को कुछ दिन रोज खाने से स्तन के दूध में वृद्धि होती है।
2। एक गिलास दूध में शतावर का एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रोज पीने से स्तन में दूध बढ़ता है।
3। शाम के समय माँ यदि पेट भर के दूध दलिया खाती है तो शिशु को दूध की कमी नहीं रहती।
4। सुबह शाम एक गिलास दूध में एक चम्मच पिसा हुआ सफेद जीरा व एक चम्मच पिसी मिश्री मिलाकर पीने से स्तन दूध से भर जाते है।
5। मां को सुबह पांच बजे उठा दीजिए। शौच जाकर मुंह और दांत साफ करने के बाद उसे छ: छटांक गरम पानी में नींबू या संतरे का रस मिला कर पिला दीजिए। इसके 15 मिनट बाद वह अपने बच्चे को दूध पिलाए। जब बच्चा दूध पी चुके तो उसको चाहिए कि अपने हाथों से अपने स्तनों को दूध से रिक्त कर दें।
तत्पश्चात व्यायाम, घर के काम-काज, घूमना, नहाना, पूजा आदि से छुट्टी पाकर वह-सफेद जीरा, 3 माशे, बादाम, छिलका उतारा हुआ 7 और कासनी 3 माशे, यह सब चीजें पीसकर और उसे एक पाव दूध में मिलाकर एक उबाल देकर शकर मिलाकर पी ले। 10 बजे बच्चे को दूध देने से पहले एक गिलास पीकर 15 मिनट बाद बच्चे को दूध दें।
दोपहर का भोजन उसी भांति करना चाहिए। दोपहर के भोजन के पश्चात् कुछ समय के लिए विश्राम की भी आवश्यकता है इस समय पैर कुछ ऊंचे रखने चाहिए। दो बजे दूध पिलाने से पहले एक पाव पानी लें और छः बजे शाम दूध देने से पहले कुछ फल या फलों का रस लें। खीरे का रस भी लाभदायक है। खरबूजा भी खाने को दिया जा सकता है।
अथवा खरबूजा या लौकी को दूध में पकाकर दें या सोयाबीन को पीसकर पानी में मिलाकर पिलायें। 10 बजे रात में खाने से पहले एक गिलास दूध पीकर या सादा पानी ही पीकर बच्चे को दूध पिलावें। इस रीति पर चलने तथा संतुलित भोजन करने से माताएं केवल 10 दिन में ही प्रतिदिन बच्चों को पांच बार दूध पिलाने के योग्य हो जाती हैं।
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