गर्दन के मोच | गर्दन के मोच में घरेलु चिकित्सा

मन्या गर्दन के पिछले एवं बराबर वाले भाग को कहते हैं। दिन में सोने से, नीचे ऊंचे स्थान में सोने से, ऊपर की ओर अधिक देखने से, ठंड आदि के कारण गर्दन की पेशियों में कड़ापन, खिंचाव तथा दर्द होता है। केवल एक तरफ के विकार से सिर दूसरी ओर घूम जाता है। मुख और कंधे ऊपर की ओर उठ जाते हैं। गर्दन एक ओर खिंच जाती है। दोनों ओर के विकार में सिर पीछे की ओर खिंच जाता है। गर्दन तन जाती है। उसमें गर्दन की बराबर में घूमने की गति नहीं हो पाती।

गर्दन के मोच में घरेलु चिकित्सा

1। कोलादि लेप का प्रयोग करें।

2। सैंधवादि तेल की गर्म-गर्म मालिश करके बालू की पोटली से सेंक करें।

3। कृ। चतुर्मुख रस 120 मि.ग्राम मल्लसिंदूर 120 मि.ग्राम, दशमूल क्वाथ के साथ देने से लाभ होता है।

4। वातगजांकुश रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।

5। योगराज गुगुल 500 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।

बाह्य प्रयोग

1। दशमूल क्वाथ की 2-4 बूंद नाक में टपकानी चाहिए।

2। आक के पत्तों पर घृत लगाकर गर्दन पर बांधना तथा उष्ण दूध से उस पर सेक करना चाहिए।

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