मोटापा (अधिक वजन) (Obesity)क्या है - मोटापा बढने के कारण, उससे होने वाले रोग,इलाज और बचाव

आदर्श वजन क्या है? चिकित्सा विज्ञान के अनुसार आदर्श वजन वह है जिसके रहने से व्यक्तियों में मृत्युदर कम रहे, और मोटापा (अधिक वजन) वह है जिसके रहते मृत्युदर अधिक हो। एक दैनिक वजन में उतार-चढ़ाव सामान्य है। यदि आप हर सुबह अपना वजन करते हैं, तो ध्यान देंने वाली बात है कि मीटर पैमाने पर संख्या एक दिन से अगले दूसरे दिन तक काफी बदल सकती है। एक संभावना है कि दैनिक वजन में उतार-चढ़ाव वसा की हानि या वसा के कारण होती है। लेकिन कई अन्य कारक हैं जो आपके वजन को दिन-प्रतिदिन प्रभावित करते हैं। मोटापा एक चिकित्सकीय स्थिति है, जब कोई व्यक्ति अतिरिक्त वजन या शरीर में वसा का वहन करता है जो उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। एक डॉक्टर आमतौर पर सुझाव देता है कि किसी व्यक्ति को मोटापा है यदि उनके पास उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक है।

मोटापा (अधिक वजन ) बढ़ने के कारण - Causes Of Obesity In Hindi

वास्तव में मोटापा, भोजन द्वारा ऊर्जा लेने और उसके खर्च में असन्तुलन होने से बढ़ता है। यदि आवश्यकता से अधिक कैलॉरी वाला भोजन लिया जाता है तो वह चर्बी के रूप में शरीर की त्वचा के नीचे जमा हो जाता है। लेकिन मोटापे के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।

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मोटापा बढ़ाने वाली कुछ प्रमुख स्थितियों और मोटापा (अधिक वजन)   बढ़ने के कारण का संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया जा रहा है:

(1) उम्र- वैसे तो मोटापा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन अधिकतर व्यक्तियों में मध्यम आयु में (30 से 45 वर्ष की उम्र के बीच) मोटापा पाया जाता है। स्त्रियों में युवावस्था शुरू होने और मासिक धर्म बन्द होने के समय मोटापा बढ़ने की सम्भावना अधिक होती है।

(2) सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियाँ- सम्पन्न लोगों में ज्यादातर मोटे होने की बीमारी होती है। इसके अलावा रसोइयों एवं हमेशा बैठकर कार्य करने वाले अथवा शारीरिक श्रम न करने वाले व्यक्तियों को मोटापा अक्सर घेरता है। मजदूर वर्ग में यह रोग कम पाया जाता है।

(3) पैतृक गुण- जिन परिवारों में माता-पिता मोटे होते हैं उनके बच्चों के मोटे हो जाने की सम्भावना अधिक होती है। सामाजिक परिवेश और खान-पान की आदतें और स्थितियाँ इत्यादि भी मोटापे से जुड़ी हुई हैं।

(4) अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine glands)- शरीर में स्थित थॉयरायड, पिट्यूटरी इत्यादि अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ भी व्यक्ति के दुबले अथवा मोटे होने के लिए जिम्मेदार होती हैं। आमतौर पर एक वयस्क स्त्री में चर्बी की मात्रा जवान पुरुष से दुगुनी होती है। इसी तरह इन ग्रन्थियों की कुछ बीमारियों जैसे- हाइपोथायरॉयडिज्म, हाइपोपिट्यूटरिज्म, हाइपोगोनेडिज्म, कसिंग सिंड्रोम इत्यादि में अप्रत्याशित रूप से मोटापा बढ़ जाता है।

(5) भोजन- शरीर की आवश्यकता से अधिक कैलोरी वाला या अधिक चर्बीयुक्त भोजन, वजन बढ़ाने में सहायक होता है।

(6) शारीरिक श्रम और व्यायाम- शारीरिक रूप से निष्क्रियता की मोटापा बढ़ाने में प्रमुख भूमिका है। खाना ज्यादा और शारीरिक श्रम कम होने से अतिरिक्त ऊर्जा शरीर में चर्बी के रूप में जमा होती जाती है इसलिए खाना और शारीरिक श्रम के बीच सन्तुलन होना जरूरी है।

(7) दवाइयाँ- कुछ विशेष दवाइयाँ जैसे-स्टेरायडूस, गर्भनिरोधक गोलियाँ, इंसुलिन इत्यादि लम्बे समय तक लेने से भी व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है क्योंकि इनसे भूख बढ़ती है। इस कारण भोजन अधिक मात्रा में लिया जाता है।

मोटापे (अधिक वजन ) से होने वाले रोग - Obesity Diseases In Hindi

मोटापा कई गम्भीर बीमारियों को जन्म तो देता ही है, साथ ही इससे व्यक्ति की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।


मोटापे से होने वाले रोग

मोटापे (अधिक वजन) से होने वाले  रोग निम्नलिखित हैं

(1) मानसिक रोग- बहुत से मोटे व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। वे समाज में स्वयं को समायोजित नहीं कर पाते ।

(2) वजन बढ़ने से होने वाले यान्त्रिक व्यवधान (Mechanical Distributions)- मोटे व्यक्तियों में पैर तथा कमर, रीढ़ और घुटनों का गठिया वात हो जाता है। इस कारण उन्हें चलने-फिरने और काम करने में तकलीफ होती है। चर्बी जमा होने के कारण पेट और पैरों की पेशियों में संकुचन के कारण हृदय की ओर जाने वाली रक्तवाहिकाओं के प्रवाह में बाधा पड़ती है। इस कारण हर्निया और वेरिकोज वेन्स जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।

पेट, पीठ और सीने पर अधिक चर्बी एकत्र होने से साँस लेने की प्रक्रिया में बाधा पहुँचती है। इस कारण मोटे व्यक्तियों को थोड़ी सी मेहनत के पश्चात् साँस लेने में कठिनाई होने लगती है। इसके अलावा इनमें फेफड़ों में संक्रमण होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है।

अधिक मोटे व्यक्तियों के साथ गिरने या फिसलने जैसी दुर्घटना सामान्य की अपेक्षा अधिक होती है।

(3) चयापचय सम्बन्धी रोग- मोटापे का मधुमेह से घनिष्ट सम्बन्ध है। इनमें विशेषकर बगैर इंसुलिन-निर्भरता वाला मधुमेह अक्सर होते देखा गया है। मोटे लोगों में सामान्य की अपेक्षा मधुमेह होने के लगभग दो-गुनी संभावना होती है।

(4) हृदय और रक्तवाहिकाओं सम्बन्धी रोग- मोटे व्यक्ति के हृदय को शरीर में रक्त संचार करने के लिए अधिक कार्य करना पड़ता है। इससे रक्तचाप में वृद्धि हो जाती है और हृदय पर भी गलत असर पड़ता है। हृदय रोग हो सकता है।

और पढे- हृदय रोग के कारण,लक्षण और रोकथाम

(5) मोटे व्यक्तियों की जीवनावधि- मोटे व्यक्ति सामान्य लोगों की अपेक्षा कम जीते हैं और उनमें मृत्युदर अधिक होती है।

मोटापा (अधिक वजन ) दूर करने का इलाज - Treatment Of Obesity In Hindi

मोटापा दूर करने का इलाज का सीधा सा सिद्धान्त है कि जरूरत से कम कैलॉरी वाला आहार लिया जाए और पर्याप्त व्यायाम भी साथ में किया जाए। जहाँ तक दवाइयों द्वारा मोटापा कम करने की बात है तो दवाइयों द्वारा मोटापे पर नियन्त्रण करने के विचार को छोड़ देना ही ठीक होगा। नीचे बतलाए गए कुछ मोटापा दूर करने का इलाज जैसे-भोजन में सुधार, व्यायाम इत्यादि को अपनाकर मोटापे को निश्चित रूप से कम किया जा सकता है।

मोटापा दूर करने का इलाज

मोटापा घटाने के पश्चात् उपर्युक्त वर्णित कुछ रोग जैसे- रक्तचाप, या हाई बीपी साँस की तकलीफ इत्यादि तो अपने आप ठीक हो जाते हैं।

  • भोजन में परिवर्तन- बगैर भोजन में परिवर्तन किए मोटापे से निजात पाना सम्भव नहीं है। यदि केवल व्यायाम से कुछ वजन कम कर दिया जाए और भोजन में कमी न की जाए तो व्यायाम बन्द करते ही वजन पुनः बढ़ जाएगा।

मोटे व्यक्तियों को 800 से 1600 किलो कैलॉरी वाली खुराक लेनी चाहिए। इसमें किसी चिकित्सक या इस कार्य से जुड़े व्यक्तियों का सहयोग लेना अच्छा रहता है। मोटापा कम करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति जरूरी होती है।

  • वजन कम करने वाले आहार का समावेश- प्रत्येक सप्ताह सामान्यतः 0.5 किलो से 1 किलो तक वजन कम करने का उद्देश्य होना चाहिए।
  • प्रोटीन- 50 ग्राम प्रोटीन लेना पर्याप्त होता है। मोटे व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट्स की जगह प्रोटीन कुछ ज्यादा मात्रा में ले सकते हैं। प्रोटीन लेने से कार्बोहाइड्रेट्स की अपेक्षा खाने में अधिक सन्तुष्टि मिलती है।
  • कार्बोहाइड्रेट्स- लगभग 100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स तक प्रतिदिन लिए जा सकते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट्स फल, हरी सब्जियों और अनाज के रूप में होने चाहिए।
  • वसा- भोजन में वसा अर्थात् तेल-घी की मात्रा 40 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए,
  • विटामिन एवं खनिज लवण खुराक में हरी सब्जियाँ, सलाद, फल इत्यादि की अधिकता होनी चाहिए। इनमें कैलॉरी कम होती है लेकिन विभिन्न तरह से आवश्यक विटामिन्स और खनिज लवण भरपूर होते हैं। कैलशियम और लोहा की पूर्ति के लिए रोज 250 से 300 मि. लिटर मक्खन निकाला हुआ दूध लिया जा सकता है।
  • पानी एवं नमक- मोटे लोगों को पानी अधिक मात्रा मे पीने की सलाह देना ठीक है। नमक जरूर कम लेना चाहिए क्योंकि नमक शरीर में पानी रोकता है। मीठे फलों का रस भी जहाँ तक सम्भव हो नहीं लेना चाहिए। इसकी जगह सब्जियों का जूस या टमाटर, गाजर इत्यादि का रस लिया जा सकता है।
  • अल्कोहल- जहाँ तक सम्भव हो शराब बन्द कर देना चाहिए।
  • उपवास- भोजन में कमी करने का कोई असर नहीं होता तो चिकित्सक की देखरेख में अधिक मोटे व्यक्तियों को उपवास करने की भी सलाह दी जाती है। इसमें कई सप्ताह तक केवल पानी और ऐसे पेय पदार्थ देते हैं जिनसे ऊर्जा तो नहीं मिलती लेकिन उनमें शरीर के लिए आवश्यक विटामिन्स और खनिज लवण होते हैं।

एक वयस्क मोटे व्यक्ति के लिए कम कैलॉरी वाला भोजन (लगभग 60 ग्रा। प्रोटीन्स, 100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स और 40 ग्राम वसा, ऊर्जा = 1000 कि। कैलॉरी)

सुबह की चाय एवं नाश्ता-

  • 1 कप कम दूध-शकर वाली चाय, अथवा
  • नीबू पानी 1 गिलास एवं 1 उबला अण्डा अथवा 40 ग्रा. फुलाए अंकुरित चने अथवा 1 गिलास बगैर मलाई का दूध।

दोपहर का भोजन -

  • 2 चपातियाँ (थोड़ा सा घी लगाकर), दो कटोरी हरी सब्जियाँ
  • एक प्लेट सलाद
  • भोजन के पश्चात् कोई 1 मौसमी फल (सेब, सन्तरा, अमरूद इत्यादि)।

अपराह्न की चाय और नाश्ता -

  • 1 कप कम शकर-दूध वाली चाय और दो नमकीन या मीठे बिस्किट्स अथवा 1 गिलास छाछ या टमाटर अथवा गाजर का रस।

रात्रि का भोजन

  • 2 चपातियाँ (थोड़ी सा घी लगाकर), 1 कटोरी दाल,  2 कटोरी हरी सब्जियाँ, एक प्लेट सलाद।

नोट- यह भोजन मधुमेह के ऐसे रोगी के लिए भी जिनका वजन अधिक है उपयुक्त रहेगा।

  • व्यायाम (योगा)- केवल मानसिक कार्य करने वाले या परिश्रम न करने वाले व्यक्ति ही मोटापा का अक्सर शिकार होते हैं। देखा गया है कि इनमें नियमित व्यायाम (योगा) का अच्छा असर होता है।

एक घण्टे के लगभग पैदल चलने से 300 किलो कैलॉरी ऊर्जा खर्च होती है। और यदि नियमित रूप से प्रतिदिन पैदल घूमा जाए तो व्यक्ति 1 वर्ष में 9 किलो तक वजन घटा सकता है।

बैडमिन्टन, लॉन टेनिस, टेबिल टेनिस एवं अन्य तरह के खेल भी सामर्थ्य के अनुसार खेले जा सकते हैं। तैरना भी एक अच्छा व्यायाम है। इसके अलावा सुबह 2-3 किलोमीटर दौड़ने से भी वजन काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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मोटापे (अधिक वजन ) से बचाव - Prevention Of Obesity In Hindi

मोटापा घटाना एक कठिन कार्य है। लेकिन मोटे न होने के उपाय अपनाना सरल है। निम्नलिखित कुछ मोटापे (अधिक वजन) से बचाव के उपायों को अपनाकर मोटे होने से बचा जा सकता है

  • सबसे पहली बात यह है कि सन्तुलित भोजन करें, भोजन शरीर की जरूरतों के अनुसार हो, न कि जीभ के चटोरेपन के लिए। मानसिक कार्य अधिक करने वाले लोग भोजन की मात्रा कम लें। सुबह मे हल्का नाश्ता करें।
  • भोजन के साथ हरी सब्जियाँ, सलाद इत्यादि पर्याप्त मात्रा में लें, साथ ही चर्बीयुक्त आहार जैसे- मलाई, रबड़ी, आइसक्रीम, चाकलेट, मक्खन, घी, मटन इत्यादि कम मात्रा में लें। इसके अलावा मिठाइयाँ और नमक भी कम लें।
  • कड़ी भूख लगने पर ही कुछ खाएँ। चाय या काफी भी दिन में दो बार ही पीना ठीक है क्योंकि इससे भी अतिरिक्त शक्कर पेट में जाती रहती है जो मोटापा बढ़ाने में सहायक होती है।
  • एक नीबू और एक चम्मच दाल चीनी का पाउडर ले और एक गिलास पानी मे इन चीजों को मिक्स करके आप इसे पांच मिनट तक उबालें और ठंडा होने के बाद पी लें इसे आपको सुबह लेना है जिस समय आपका पेट खली हो I आप इसका सेवन 15 दिन तक करें फिर आप इसके परिणाम को देखें
  • व्यायाम मोटापे का दुश्मन है। मोटापे से बचने के लिए कुछ न कुछ व्यायाम जैसे-दौड़ना, तैरना, खेलना, टहलना इत्यादि अवश्य करें। इससे यदि भोजन में अतिरिक्त कैलॉरीज़ ली गई हों तो वे खर्च हो जाएँगी, साथ ही शरीर भी फिट रहेगा।
  • मधुमेह के रोगी चिकित्सक से दैनिक आहार की तालिका बनवा लें और उसके अनुसार ही चलें । साथ में व्यायाम भी करें।
  • महीने में एक बार अपना वजन अवश्य लें और यदि वजन बढ़ रहा हो तो सावधान हो जाएँ खाने की मात्रा कम करें और व्यायाम की मात्रा बढ़ा दें।
  • आलसीपन और अधिक सोने की आदतों को बदलें।

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