मासिक धर्म कैसे होता है | मासिक धर्म हर महीने क्यों होता है |

मासिक धर्म एक सहज स्वाभाविक प्राकृतिक शारीरिक क्रिया है। स्त्रियों के जननांगों में दो डिम्ब नलिकायें होती हैं। इनके किनारों पर बादाम के आकार-प्रकार की एक-एक डिम्ब ग्रन्थि जड़ी होती है। इन्हीं डिम्ब ग्रन्थियों में डिम्बों का निर्माण होता है जो विवाह के बाद पुरुष के शुक्राणु से मिलकर संतान की रचना करते हैं।

10-11 वर्ष की किशोरी की डिम्ब ग्रन्थियों में हजारों की संख्या में अर्धविकसित डिम्ब भरे पड़े रहते हैं, क्योंकि इस उम्र में किशोरी भी अर्धविकसित अवस्था में होती है। लगभग 15 वर्ष की अवस्था वाली लड़की के डिम्ब पूर्ण विकसित हो जाते है और उसमें गर्भ धारण करने की क्षमता आ जाती है। हर दो माह बाद एक डिम्ब ग्रन्थि से निकलकर बाहर गर्भाशय में आता है। इसी प्रकार दूसरी डिम्ब ग्रन्थि से भी दो माह में एक डिम्ब बाहर निकलता है। इस प्रकार दोनों डिम्ब ग्रन्थियां बारीबारी से एक-एक डिम्ब छोड़ती रहती हैं। इस तरह हर माह एक डिम्ब उनके गर्भाशय में उपस्थित हो जाता है।

डिम्ब ग्रन्थि से निकलकर साथ वाली सूक्ष्म नलिकाओं की सहायता से चलकर गर्भाशय में आ जाता है। परन्तु पुरुष के शुक्राणु विवाह से पहले तो गर्भाशय में मौजूद नहीं रहते। इस कारण यह डिम्ब शुक्राणु (पुरुष के वीर्य में मौजूद सूक्ष्म अणु) से संपर्क न होने की दशा में गंदे खून के रूप में योनि मार्ग से बाहर निकल जाते हैं। चूंकि डिम्ब एक माह में एक बार गर्भाशय में आता है अतः माह में एक ही बार रक्तस्राव होता है। यही मासिक धर्म या मासिक स्राव कहलाता है। इस प्रकार यह पूर्ण प्राकृतिक क्रिया है जो हर युवती के जीवन में आती है। मासिक स्राव चार दिन तक धीरे-धीरे होता है। चौथे दिन लगभग नहीं के बराबर होता है और पांचवें दिन बिल्कुल साफ हो जाता है।

उन दिनों रूई के कोमल पैड्स या कोमल कपड़े की मोटी पट्टी योनि मार्ग पर बांधी जाती है। इसे लंगोटी की तरह लगाकर बांध लिया जाता है, ताकि रक्त का स्राव इस पट्टी में आकर जज्ब हो जाए और कपड़े न बिगड़े। इन पट्टियों को दिन में दो बार बदलना चाहिए। सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। योनि मार्ग की पट्टी बदलने से पहले अच्छी तरह स्वच्छ डिटोल मिले पानी से धो लेना चाहिए। यह धारणा गलत है कि इन चार दिनों तक स्नान नहीं करना चाहिए। रोज स्नान अवश्य करें और स्वच्छता नियमित करती रहें। इन दिनों दूर बैठना भी जरूरी नहीं, यह पुरानी रीति है।

शुरुआत में मासिक धर्म कुछ अनियमित-सा रहता है, परन्तु बाद में यह नियत समय पर होता है। यदि कोई अन्य तरह की समस्या हो तो अपने से बड़ी स्त्री या सहेली को समस्या अवश्य बता दें। इसमें झिझकने से स्वयं का ही नुकसान है। समय पर बताने और जानकारी लेते रहने से सब कुछ सामान्य रहता है। लगभग 45 वर्ष के आस-पास मासिक धर्म अपने आप बन्द हो जाता है। यह भी एक स्वाभाविक क्रिया है। परन्तु युवावस्था में मासिक धर्म रुकने या बन्द होने के दो ही कारण हो सकते हैं, या तो कोई विशेष गड़बड़ी या फिर गर्भाधान अर्थात् पेट में बच्चा आ जाने का पहला संकेत। गर्भाधान पुरुषसंपर्क से ही संभव होता है।

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