शरीर के वज़न में प्रायः तबदीली आती रहती है। परन्तु डॉक्टरों की राय के अनुसार 25 वर्ष की उम्र के बाद शरीर के भार में किसी तरह की तबदीली नहीं आनी चाहिए। यदि व्यक्ति का वज़न ज़रूरी वज़न से 10% ज्यादा है तो उस व्यक्ति को ज्यादा वज़न वाला समझा जाता है। परन्तु यदि उसका भार ज़रूरी वज़न से 20% ज्यादा है तो उस व्यक्ति को मोटा कहा जाता है। यद्यपि एक पतला आदमी मोटा होने के लिए तरसता रहता है, परन्तु शायद वह यह नहीं जानता कि मोटापा न केवल अपने आप में एक बीमारी है बल्कि मोटापा होने से कई रोगों के लिए शरीर जैसे स्थाई आसरा बन जाता है। शुगर रोग, अधरंग या लकवा, कैंसर जैसे रोगों का सीधे या अन्य तरीके से मोटापे के साथ संबंध है।
केवल भार ज्यादा होने से ही हम किसी को मोटा नहीं कह सकते क्योंकि कुछ व्यक्तियों का शारीरिक ढांचा ही कुछ इस तरह का होता है जैसे कि लंबा-चौड़ा कद-काठी, चौड़ी हड्डियां आदि। जिनसे उस व्यक्ति का भार प्रस्तावित भार से ज्यादा भी हो सकता है। इसलिए हमें उस व्यक्ति के रोज़ाना काम-काज के बारे में भी पता होना चाहिए। कुछ लोग खानदानी मोटे होते हैं यानी उनके परिवार में पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोटे ही जन्म लेते हैं। परन्तु खानदानी मोटापे और ज्यादा खाने तथा कम शारीरिक काम करने से हुए मोटापे में मूल रूप में फर्क होता है। वंश से संबंध रखते यानी खानदानी मोटापे में व्यक्ति का सारा शरीर, टांगें, बाजू और मुंह फूले हुए होते हैं जबकि ज्यादा खुराक खाने से हुए।
मोटापे में व्यक्ति का पेट यानी तोंद बढ़ी हुई होती है जबकि उसके हाथ-पांव और शरीर के दूसरे हिस्से उस अनुपात में मोटे नहीं होते। किसी भी पुरुष के लिए सही वजन या स्त्रियो के लिए ज़रूरी वज़न कितना होना चाहिए, मोटापा के कारण, मोटापा से नुकसान, किशोर और किशोरियों में मोटापा, मोटापा कम करने का घरेलू इलाज यह आगे वर्णन किए हुए ढंग से जाना जा सकता है।
जिन पुरुषो के लिए सही वजन हम जानना चाहते हैं उसके बारे में पहले यह जान लें कि वह कितना लंबा है। जितना लंबा उसका कद है पहले उसके इंच बना लो, तब फिर इंचों को दो से गुणा करने से उस पुरुष के लिए जरूरी वज़न पौंड में आ जाएगा।
जैसे- किसी व्यक्ति का कद 6 फुट है।
6 फुट के कुल इंच बने 6 X 12 = 72 इस तरह उस व्यक्ति का ज़रूरी वज़न होगा 72 X 2 = 144 पौंड। परन्तु यदि आप उस आदमी का वज़न पौंड की बजाए किलोग्राम में जानना चाहते हैं तो पहले जैसे ही उसकी लंबाई को इंचों में बदल लें और फिर उन इंचों को 0.91 से गुणा कर लें। इस तरह आपको यह पता लग जाएगा कि उस आदमी के लिए ज़रूरी वज़न कितने किलो होना चाहिए।
कद = 6 फुट , कुल इंच = 6 X 12 = 72 , ज़रूरी वज़न = 72 X 0.91 = 65.5 किलो
परन्तु यदि लंबाई फुटों या इंचों की बजाए सेंटीमीटर में दी हो तो भार जानने के लिए उन सेंटीमीटरों को 0.358 से गुणा करने से यह पता लग जाएगा कि उस व्यक्ति का वज़न कितने किलो होना चाहिए। पुरुषों के लिए ज़रूरी वज़न टेबल में दिया गया है।
किसी भी स्त्रियों के लिए जरूरी वज़न भी ठीक उसी तरह जाना जा सकता है जैसे कि किसी पुरुष का जानते हैं। बस अंतर है गुणा करने वाले फैक्टर का जो अलग होता है। स्त्रियों के लिए ज़रूरी वज़न टेबल में दिया गया है।
वज़न बढ़ने का मुख्य कारण व्यक्ति द्वारा भोजन की खुराक से प्राप्त की जा रही ऊर्जा की कैलोरियों और उनके इस्तेमाल में असंतुलन आना है। जब भी हम कोई भोजन की खुराक खाते हैं तो उससे हमारे शरीर को ऊर्जा यानी ताकत मिलती है।
ऊर्जा की यह मात्रा कैलोरी में मापी जाती है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति भोजन ज्यादा कैलोरियों वाली खाता है परन्तु उन कैलोरियों को इस्तेमाल करने के लिए शारीरिक मेहनत कम करता है, तो यह फालतू कैलोरियां शरीर के अंदर चिकनाई यानी फैट में बदलकर चमड़ी के नीचे एडीपोज़ तंतुओं में जमा हो जाती हैं।
इस प्रकार उस व्यक्ति का वज़न बढ़ जाता है। चिकनाई और कार्बोज वाले पदार्थों के ज्यादा इस्तेमाल से शरीर को ऊर्जा की ज्यादा कैलोरियां मिल जाती हैं। जहां एक ग्राम चिकनाई यानी घी या तेल के इस्तेमाल से 9 कैलोरियां मिलती हैं, वहां प्रोटीन या कार्बोज़ के इस्तेमाल से प्रति ग्राम 4 कैलोरियां मिलती हैं। परन्तु हम सभी अपनी खुराक में आम तौर पर कार्बोज़ वाले पदार्थ, जैसे कि अनाज, दालें, गुड़, चावल, चीनी आदि का ही ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसलिए शरीर को सबसे ज्यादा कैलोरियां कार्बोज़ों के इस्तेमाल से ही मिलती हैं।
शरीर की ज़रूरत से ज्यादा कैलोरियों का इस्तेमाल ज़रूर होना चाहिए और यह इस्तेमाल कसरत या ज्यादा शारीरिक काम करने से ही हो सकता है। परन्तु यदि व्यक्ति खाता तो भरपेट हो लेकिन वह आरामपरस्त स्वभाव का हो तो यह ज्यादा कैलोरियां उसके शरीर में चिकनाई यानी फैट में बदल जाती हैं।
जिन परिवारों के लोग मोटे होते हैं उनके बच्चों के मोटे होने की संभावना भी ज्यादा होती है। यदि माता-पिता दोनों मोटे हों तो बच्चों के मोटे होने की 80% संभावना होती है। परन्तु इसकी तुलना में सही वज़न वाले माता-पिता के बच्चों के मोटे होने की केवल 10% संभावना होती है। मोटापा के कारण है जैसे-
वैसे तो मोटापा अपने आप में एक बीमारी है परन्तु इससे और भी बेशुमार रोग लग जाते हैं। जैसे- शुगर का रोग, जोड़ों का दर्द, गुर्दे के रोग, दिल के रोग आदि। यही कारण है कि सही वज़न वाले व्यक्ति के मुकाबले में मोटे व्यक्तियों में मृत्यु दर ज्यादा पाई जाती है। मोटापा से नुकसान कई तरह के होते है जो हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव डालते है जैसे-
ज्यादा फैट और मीठे वाली चीजें जैसे कि बर्गर, कटलेट्स, चाकलेट आदि खाने से तथा कम शारीरिक काम करने से आजकल के बच्चों, खासकर किशोर और किशोरियों में मोटापा आम हो जाता है।
आजकल ज्यादातर बच्चों के पास मोपेट, स्कूटर या इसी तरह का कोई और वाहन होता है। साईकिल चलाना या पैदल चलना तो जैसे उनको अपनी बेइज्ज़ती लगती है।
किशोर अवस्था में ज़रूरत से ज्यादा वज़न होना आने वाले समय में कई तरह की बीमारियों को बुलावा देने से कम नहीं। अर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर, माहवारी की समस्याएं आदि के कारणों में प्रमुख कारण किशोर अवस्था में होने वाला मोटापा ही है।
किशोर अवस्था में होने वाले मोटापे के लिए हमें पूरी तरह सावधान रहना चाहिए। संतुलित भोजन और व्यायाम से इस पर कट्रोल करना चाहिए। परन्तु कुछ लोग अपने किशोर उम्र के मोटे बच्चों का वज़न घटाने के लिए उनको कई तरह की वज़न घटाने वाली गोलियां खिलाने लगते हैं या फिर कम खाना देकर अपनी ओर से उनको डाइटिंग के लिए मजबूर करते हैं। शायद वे यह नहीं जानते कि इस तरह के तौर-तरीकों का सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
वज़न घटाने के लिए जब भी किसी से सलाह ली जाए तो यह रटे-रटाए बोल सुनने को मिलते हैं “ज्यादा घी, चिकनाई वाली चीजें, तली हुई चीजें, आलू, चावल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।' यह सब तो ज़रूरी है परन्तु उससे भी ज्यादा ज़रूरी है मोटे आदमी में वज़न घटाने की जागरूकता लाने की। उसको मानसिक तौर पर तैयार करना ज़रूरी है। तब ही कोई तरकीब असरदार साबित होगी। नहीं तो कहने-कहाने पर व्यक्ति दो-चार दिन को रोज़ाना खुराक में तबदीली कर लेगा, परन्तु कुछ दिनों बाद वह पहले जैसे ही खाने लग जाएगा। इसलिए सबसे पहले उसको मानसिक तौर पर तैयार करना पड़ेगा और वह भी दृढ़ निश्चय कर ले कि उसने वज़न घटाना ही है। तो हम यहां मोटापा कम करने का घरेलू इलाज बता रहे है जैसे-
भूख कम करने की दवाइयां शरीर में तीन तरह से अपना प्रभाव छोड़ती हैं
1भूख कम कर देती हैं।
2शरीर में बढ़ी हुई चर्बी को जलाने में मदद करती हैं।
3चीनी और कार्बोज़ को चिकनाई में बदलने पर रोक लगाती हैं।
इसलिए अगर मोटापे से बचना है तो कम खाओ और ज्यादा शारीरिक मेहनत करो। नहीं तो बीमारियां पक्के तौर पर आपके शरीर में अपना डेरा बना लेंगी।
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