मूर्छा एक विकार है जिसमें रोगी अचानक होश खो बैठता है और कुछ समय बाद बिना कुछ उपचार किए पुनः होश में आ जाता है। मूर्छा का मुख्य कारण मस्तिष्क में रक्त की कमी का होना है।
मूर्छा में तत्काल लाभ करने वाली चिकित्सा करनी चाहिए। मुख पर शीतल जल के छींटे देना, तीक्ष्ण अंजन सुई चुभाना, नाक व मुख को दबाना आदि क्रियाएं की जाती हैं। चूना एवं नौसादर समभाग लेकर एक शीशी में भरकर थोड़ा भिगोकर सुंघाए या आक के दूध में चावलों को पीसकर नाक में छोड़ें। काली मिर्च एवं पिप्पली के चूर्ण का अथवा श्वास कुठार रस का नस्य मूच्र्छा में दें। कटफल छाल चूर्ण का नस्य दें।
1। मूच्र्छातक रस 240 मि.ग्राम पिप्पली चूर्ण 240 मि.ग्राम दिन में दो बार मधु के साथ दें।
2। चंद्रावलेह 10 ग्राम दिन में दो बार गो दूध के साथ दें।
3। अश्वगंधारिष्ट 30 मि.लि। दिन में दो बार दें।
4।
सारस्वतारिष्ट 30 मि.लि। दिन में दो बार दें।
5। पुराने घी का सिर पर लेप करें।
6। वातकुलांतक रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार मधु के साथ दें।
7। वृहत वात चिंतामणि रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार मधु के साथ दें।
8। योगेंद्र रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार मधु के साथ दें।
9। ब्राह्मी वटी 2 गोली दिन में दो बार दूध के साथ दें।
10। स्मृतिसागर रस 2 गोली दिन में दो बार दूध के साथ दें।
11। ब्राह्मी रसायन 10 ग्राम दूध के साथ दिन में दो बार दें।
12। सूतशेखर रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार पानी के साथ दें।
13। ब्राह्मी घृत 10 ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ दें।
14। सारस्वत चूर्ण, जटामांसी चूर्ण, सर्पगंधा चूर्ण लाभकारी औषधियां हैं। शंखपुष्पी सीरप 10 मि.लि। दिन में दो बार दें।
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