अंधाहुली या अंधपुष्पी के फायदे एवं औषधीय गुण

अंधाहुली को संस्कृत में ‘अंधपुष्पी', 'अध:पुष्पी', 'रोमालु', 'दार्विका', ‘अर्कपुष्पी', 'क्रूरकर्मा', पमस्या और जल का मुका आदि नामों से पुकारा जाता है। अंधाहुली की बेल होती है जो नागरबेल की तरह होती है और इसके पत्ते गिलोय की तरह छोटे-छोटे होते हैं। इस पर सूर्यमुखी की तरह का गोले फूल लगता है, जिसमें से सफेद रंग का तरल पदार्थ दूध की भाँति निकलता है। यह सभी जंगलों में पाई जाती है।

अंधाहुली के रोगोपचार में फायदे

गुण धर्म- यह शीतल, पित्तनाशक, जख्मों को भरने वाली, विषहरण, कफ नाशक, नेत्रों में लाभदायक और प्रमेह आदि में लाभदायक जड़ी है।

1. बवासीर में अंधाहुली के फायदे

अंधाहुली, सौंठ, मिलावा और विधारा के बीच समभाग में लेकर कूट-पीस लें और उसका चूर्ण बना लें। उस चूर्ण में दुगना पुराना गुड़ मिला दें और उसे पकाकर उसे ठंडा करके उसके लड्डू बना लें। बवासीर के रोगी को प्रतिदिन इस लड्डू का 10-20 ग्राम चूर्ण शीतल जल से सुबह-शाम लेना चाहिए। इसके सेवन से हर प्रकार की बवासीर दूर हो जाएगी।

2. जख्म में अंधाहुली के फायदे

अंधाहुली की बेल को पानी के साथ कूटकर उसका लेप बना लें और जख्म पर लगाएँ। कुछ ही दिनों में जख्म भर जाएगा। जख्मों पर अंधाहुली के फूलों से झरने वाला दूध भी लगाया जाता है, जो अत्यंत लाभदायक है। नोट-इसका प्रयोग योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें।

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