हार्ट अटैक से बचने का 21 घरेलु इलाज एवं हार्ट अटैक के प्रकार

अधिक व्यायाम, मेहनत, चिंतन, अध्ययन, भय, गर्म, भारी एवं कटु पदार्थों का सेवन, प्राकृतिक वेगों का धारण करने से, चोट लगने आदि कारणों से हृदय रोग उत्पन्न होते हैं।

हार्ट अटैक के लक्षण

पांडुता, कालापन, मूच्र्छा, चक्कर, बुखार, खांसी, श्वास, हिक्का, प्यास, उल्टी होना, छाती में दर्द, निद्रा का न आना, भोजन में अरुचि आदि अनेक लक्षण हृदय रोगों में देखे जाते हैं।

हार्ट अटैक के प्रकार

हार्ट अटैक पांच प्रकार के होते हैं।

1। वातिक हार्ट अटैक - इसमें हृदय में खिंचावट तथा सुई चुभने जैसी पीड़ा होती है। रोगी को प्रतीत होता है कि जैसे कोई उसके हृदय को मथ रहा हो, टुकड़े कर रहा हो या चीर रहा हो। धड़कन, नाड़ी का तेज चलना, मूच्र्छा चक्कर आदि भी जान पड़ते हैं।

2। पैत्तिक हार्ट अटैक - इसमें प्यास, गर्मी, जलन, हृदय रोग की बेचैनी, मूच्र्छा, अति पसीना आना, मुख का सूखना तथा मुख से धुआं-सा निकलना आदि पैत्तिक हृदय रोग के लक्षण हैं।

3। कफज हार्ट अटैक - इसमें शरीर का भारीपन, भोजन में अरुचि, हृदय प्रदेश में जकडाहट, बदहजमी, मुख का मीठा स्वाद होना आदि कफज हृदय रोग के लक्षण हैं।

4। त्रिदोषज हार्ट अटैक - इसमें तीनों दोषों के लक्षण मिले-जुले मिलते हैं।

5। क्रिमिज हार्ट अटैक - त्रिदोषज में दूषित खानपान से, कीड़ों के फैलने से हृदय में गांठ बन जाती है। रोगी को तेज पीडा, दर्द, मितली, अरुचि, आंखों के सामने अंधेरा होना, मलिनता, सूजन आदि लक्षण मिलते हैं।

सभी प्रकार के हार्ट-अटैक का घरेलु इलाज

1। आरोग्यवर्धिनी वटी 1-2 वटी जल के साथ दिन में दो बार सेवन करें। यह सूजन को कम करने में लाभप्रद होती है।

2। चंद्रप्रभा वटी 1-2 बटी दूध के साथ सेवन करें। यह सूजन में लाभकारी होती है।

3। नागार्जुनाभ्र रस 120-250 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

4 हदयार्णव रस 120 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

5 प्रभाकर मिश्रण 120 मि.ग्राम शहद या जल के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

6.चतर्मुख रस 120 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

7 जवाहर मोहरा 120 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार प्रयोग करें।

8। याकृति 120 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दिन में दो बार प्रयोग करें।

9। वृहत वात चिंतामणि रस 120 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दो बार प्रयोग करें।

10। मकरध्वज 120 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दो बार सेवन करें।

11। हेम गर्भ पोटली रस 40 मि.ग्राम शहद के साथ दो बार प्रयोग करें।

12। अकीक भस्म 120 मि.ग्राम, अकीक पिष्टी 120 मि.ग्राम शहद के साथ दो बार प्रयोग करें।

13।

मुक्ता भस्म 120 मि.ग्राम, मुक्ता पिष्टी 120 मि.ग्राम शहद के साथ दो बार प्रयोग करें।

14। श्रृंग भस्म 120 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दो बार प्रयोग करें।

15। जहर मोहरा पिष्टी 120 मि.ग्राम दूध शहद के साथ दें।

16। अभयारिष्ट 15-30 मि.लि। समान जल मिलाकर दें।

17। दशमूलारिष्ट 15-30 मि.लि। भोजन के बाद जल के साथ दो बार दें।

18। अर्जुनारिष्ट 15-30 मि.लि। भोजन के बाद बराबर जल मिलाकर दें।

19। अर्जुन घृत 10-20 ग्राम दूध के साथ दो बार दें।

20। अर्जुन छाल चूर्ण 1 ग्राम, श्रृंग भस्म 120 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दो बार सेवन करें। यह धड़कन में हितकर है।

21। पुनर्नवाष्टक क्वाथ, पुनर्नवासव 10-20 मि.लि। दो बार भोजन के बाद दें।

लाभ:- शाली चावल, मूग, पटोलपत्र, मूली, कुष्मांड के पक्व फल, आम, अंगूर, द्राक्षा, अदरक, पिप्पली, लहसुन, गुंठी, तक्र, गुड़ लाभदायक है।

नुकसान:- कषाय, गर्म व क्षार द्रव्य विपरीत गुणों वाले भोज्य पदार्थ, अधिक नमक, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, मांस, मछली, गरिष्ठ भोजन, शराब, अचार, चिप्स, धूम्रपान, तले पदार्थ हृदय रोगों में हानिकारक होते हैं।

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