मानसिक रोगों का आयुर्वेदिक इलाज - Ayurvedic Treatment Of Mental Helth

मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण स्वास्थ्य का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण अवयव है। जब  किसी व्यक्ति का शरीर स्वस्थ होगा तो निश्चित ही वह व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होगा। शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य में अटूट एवं अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। ये दोनों ही स्वास्थ्य के अवयव एक-दूसरे पर आधारित एवं निर्भर हैं, परन्तु विश्व स्वास्थ संगठन की परिभाषा के अनुसार, "स्वास्थ्य मात्र बीमारियों की अनुपस्थिति ही नहीं है बल्कि व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से भी स्वस्थ रहना है।” मानसिक स्वास्थ्य एवं शारीरिक स्वास्थ्य को पृथक् नहीं किया जा सकता है क्योकि दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं, परन्तु फिर भी मानसिक रोग को स्पष्ट रूप से समझने के लिये इसके बारे में जानना अत्यन्त आवश्यक है।

मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक - Factors Affecting Mental Health In Hindi

आज की भाग-दौड़ की जिन्दगी में अधिकांश लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक है-

  • चिन्ताएँ, तनाव, उलझनें, निराशाएँ, उद्विग्नता तथा विभिन्न प्रकार की समस्याएँ मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। दिनप्रतिदिन मानवीय मूल्यों के ह्रास होने से व्यक्ति में निराशा, अकेलापन, असन्तोष, उत्तरदायित्वों की कमी, धन की बढ़ती चाहत इत्यादि ने जन्म ले लिया है, जिससे व्यकि अशान्त, निराश, उद्विग्न, चिन्ताग्रस्त, परेशान एवं मानसिक रूप से बीमार एवं रोगग्रस्त हो गया है।
  • आज के समय मे जीवन के मूल्यों से धन का मूल्य बढ़ गया है, जिससे लोगों में धन अर्जित करने के प्रति ज्यादा लालसा हो गई है। धन अर्जित करने के उद्देश्य से जुटे लोगों में प्रेम, सहानुभूति, दया, सहयोग, सद्भाव, सामाजिक मेलभाव इत्यादि का सख्त अभाव है गया है। निरन्तर नये ज्ञान एवं तकनीकी के विकास के साथ-साथ मानव में भी संघर्ष करने की क्षमता बढ़ गई है तथा मानव भी मानव न रहकर एक मशीन की भाँति कार्य कर हुआ है, जिसका दुष्परिणाम सामने है-मानसिक रोग। 

मानसिक स्वास्थ्य का महत्व - Importance Of Mental Health In Hindi

मानव शरीर मे मानसिक स्वास्थ्य का महत्व है। मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए घरेलू इलाज है जैसे-

  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति शान्त, सन्तुष्ट, प्रसन्न एवं हमेशा ही आनन्दित रहता है। उसके स्वयं के भीतर में किसी भी प्रकार का द्वन्द्व या संघर्ष नहीं होता। वह भीतर  बाहर एक-सा रहता है। वह स्वयं को कभी नहीं धिक्कारता है तथा हमेशा स्वयं को आदरपूर्वक देखता है। वह न तो अपनी योग्यता को ज्यादा करके अथवा ना ही कम करके आँकता है, अत: वह स्वयं से पूरी तरह सन्तुष्ट रहता है।
  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को स्वयं के ऊपर अच्छा आत्म-नियन्त्रण रहता है। वह कठिन-से-कठिन परेशानियों को भी सरलता से बुद्धिमत्तापूर्वक सुलझा लेता है।
  • वह संवेगों का गुलाम नहीं होता, फलत: भय, क्रोध, प्रेम, ईष्र्या, चिन्ता, तनाव इत्यादि उस पर सरलता से हावी नहीं होते। संक्षेप में, ऐसा व्यक्ति संवेगों का गुलाम नहीं बल्कि संवेग उसके गुलाम होते हैं।
  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति दूसरों के साथ अच्छी तरह से समायोजन कर लेता है। ऐसा व्यक्ति सामाजिक होता है तथा दूसरों की सहायता एवं सहयोग आगे बढ़कर करता है।
  • आलोचनाओं पर विशेष ध्यान नहीं देता है, न ही छोटी-छोटी बातों पर अपना आत्म-नियन्त्रण अथवा सन्तुलन खोता है।
  • वह दसरों की भावनाओं की कद्र करता है तथा हमेशा ही सहृदय एवं सहयोगी बना रहता है। ऐसा व्यक्ति एक अच्छा मित्र होता है तथा सभी के साथ शिष्टाचारपूर्वक व्यवहार करता है।
  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में निर्णय लेने की विलक्षण क्षमता होती है। वह परेशानियों से घबराता नहीं है, बल्कि परेशानियों को शान्तचित्त होकर ठण्डे दिमाग से सुलझाने का प्रयास करता है।
  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति बदलते वातावरण के साथ आसानी से स्वयं को समायोजित कर लेता है। उसे पता भी होता है कि चीजें गलत हैं या गलत दिशा में जा रही हैं, परन्तु फिर भी वह अपना आत्म-नियन्त्रण नहीं खोता और ना ही उद्विग्न अथवा क्रोधित होकर कोई गलत कदम ही उठाता है। वह शान्त चित्त होकर उनके कारणों को ढूंढने का प्रयास करता है।
  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति कभी अकारण दूसरों को परेशान नहीं करता बल्कि दूसरों के साथ अच्छी प्रकार से एकीकरण करके स्वयं को उनके साथ सुव्यवस्थित तरीके से समायोजित कर लेता है।

और पढे- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं क्या हैं 

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल