खसरा (मीजेल्स) क्या है | खसरा के कारण, लक्षण और घरेलु चिकित्सा

यह एक तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है। इसे खसरा (मीजेल्स) तथा रोमांतिका भी कहते हैं। इस रोग में नाक तथा गले की झिल्ली में सूजन होती है और चौथे दिन शरीर पर एक प्रकार की पीडिकाएं निकल आती हैं। यह रोग प्रायः छोटे बच्चों में पाया जाता है।

खसरा के कारण

  • रोग का कारण एक विषाणु है जो रोगी के रक्त में, नाक एवं नाक के पिछले भाग में और सांस लेने वाली नलियों के स्राव में पाया जाता है।
  • काली खांसी, ब्रोंकोन्यूमोनिया तथा डिप्थीरिया से पीडित बच्चों में यह अधिक होता है व तीव्र रूप धारण कर लेता है।
  • रोगी के बोलते, खांसते या छींकते समय थूक के सूक्ष्म कणों द्वारा विषाणु स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में फैल जाते हैं।

खसरा के लक्षण

आरंभ में धीरे-धीरे ठंड के साथ ज्वर 100°F-102°F तक, सिर दर्द, जुकाम, आखों में लालिमा, अधिक छींके आना, भोजन में अरुचि, सूखी खांसी, गले की गांठ में सूजन, स्वर का फटा-सा होना। मुख के अंदर दोनों गालों पर, दांतों के पास नीले सफेद धब्बे निकल आते हैं जिसके चारों ओर लाल धारी रहती है। इन्हें कौपलिक के धब्बे कहते हैं। आकार में ये आलपिन के सिरे के बराबर होते हैं। रोमांतिका का यह प्रधान लक्षण है। इस दशा में चौथे दिन पिडिकाएं निकलती हैं तथा धब्बे मिट जाते हैं।

पहले ये मस्तक, कनपटी, कान के पीछे तथा मुख के चारों ओर निकलती हैं। वहां से मुख, गर्दन, धड़ व हाथ पैरों पर फैल जाती हैं। ये गहरे लाल रंग की गांठदार छोटी और कुछ उभरी हुई होती हैं। उनमें खुजली एवं जलन होती है। तब ज्वर कुछ कम हो जाता है। किंतु एक दो दिन में पुनः बढ़कर 103°F-105°F तक हो जाता है। पिडिकाएं तीन-चार दिन तक रहती हैं। इसके बाद ज्वर सामान्य होने लगता है। रोगी ठीक हो जाता है। इस रोग में प्रायः भूख नहीं लगती।

तीन वर्ष तक के बच्चों में अधिक घातक है। सबसे अधिक मृत्यु दूसरे वर्ष में होती हैं।

खसरा में घरेलु चिकित्सा

  • रोगी को गरम कपडे ओढ़ने व बिछाने को दें।
  • गरम पानी से सेक तथा उष्ण पीने वाले पदार्थ दें जिससे पिडिकाएं निकल जाएं।
  • छाती पर कपूर व नमक मलें।
  • बिषगर्भ तेल की गरम गरम मालिश करें।
  • उसे तरल पदार्थ, अधिक मात्रा में जल, फलों का रस और दग्ध पर रखें।
  • नेत्रों पर विशेष ध्यान दें। गुलाब जल से साफ करें।
  • स्वर्णमाक्षिक भस्म 120 मि.ग्राम, कस्तूरी भैरव 120 मि.ग्राम, मृग श्रृंग भस्म 120 मि.ग्राम, सौभाग्य वटी 120 मि.ग्राम।
  • निंबादि क्वाथ - 50 मि.लि।
  • त्रिभुवन कीर्ति रस 120 मि.ग्राम दिन में तीन बार उष्ण जल से दें।
  • महालक्ष्मी विलास रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद या पान के रस के साथ दें।
  • पंचानन रस 120 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें।
  • मृत्युंजय रस 120 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें।
  • पर्पटादि क्वाथ 10-15 मि.लि. दिन में दो बार प्रयोग करें।
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