गर्भपात होना आजकल बहुत आम बात हो गयी है। बहुत से बल्कि अधिकतर मिसकैरेज गर्भावस्था की शुरुआत में ही हो जाते हैं। बहुत बार देखा गया है की बहुत सी महिलाओं को गर्भावस्था का पता ही नही चलता है, गर्भपात चौथे महीने तक, जो प्रायः द्रव रूप गर्भ गिरता है उसे गर्भस्राव, पांचवें महीने से छठे महीने तक गर्भ शरीर में स्थिर हो जाने पर, गर्भ के गिरने को गर्भपात और आठवें महीने में जो प्रसव होता है उसे विप्रसव कहते हैं। इस पोस्ट मे हम आपको गर्भपात के कारण, गर्भपात के लक्षण, गर्भपात से बचने का घरेलू उपाए बताएँगे।
गर्भपात के कारण के बारे में कुछ मुख्य पॉइंट हम यहां बता रहे हैं जैसे-
गर्भपात के लक्षण मे सबसे आम लक्षण या संकेत मुख्य दो हैं जैसे-
पहले के दिनो मे ये दोनों कम होते हैं किंतु ज्यों-ज्यों गर्भ प्रसव की अवस्था समीप होती है तो दर्द बढ़ता जाता हैं। पूर्ण गर्भ प्रसव होने पर दोनों लक्षण शांत हो जाते हैं। कमर से दर्द शुरू होकर आगे की ओर जाता है। दर्द के शुरू होने के बाद गर्भाशय का मुख खुलने लगता है फिर गर्भाशय पदार्थ बाहर निकल जाता है।
आमतौर पर मिसकैरेज को नहीं रोका जा सकता है। ऐसा अक्सर इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था सामान्य प्रक्रिया नहीं है। अगर कोई विशिष्ट समस्या है तो उसका उपचार ज़रूर किया जा सकता है।
इस लिए गर्भपात से बचने का घरेलू उपाए के बारे मे हम बता रहे है जैसे- चारपाई का पैताना ऊंचा करके उस पर मृदु, शीतल बिस्तर लगाकर रोगी को आराम से लिटा दें। नाभि के नीचे शत धौत घृत या अति शीतल घी व मुलहठी के कल्क का लेप करें। अधिक रोना और गुस्से, शोक, परिश्रम से बचाएं।
नील कमल, श्वेत कमल, रक्त कमल या कुमुदनी के फूल व मुलहठी के कल्क से क्षीरपाक विधि द्वारा शीतल दूध मिश्री मिलाकर दें ! सिंघाड़े की लपसी दें। कमल कंद या गुलर की तरी के साथ दलिया या पुराना चावल दें। पीने के लिए खस का शीतल जल दें।
1रक्तपित्त कुलकंडन रस 120 मि.ग्राम दिन में तीन-चार बार दें।
2बोलपर्पटी 240 मि.ग्राम दिन में तीन-चार बार दें।
3उशीरासव 15-30 मि.लि। दिन में दो बार समभाग जल में दें।
4दुग्धपाषाण 500 मि.ग्राम दो बार दिन में दें।
5कुम्हार के चाक की मिट्टी तीन ग्राम बकरी के दूध में पीसकर मिश्री मिलाकर दिन में कई बार दें।
6रक्त को रोकने वाली सारी औषधियां हितकर हैं।
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