इस ज्वर में एकाएक कंपकपी के साथ तेज बुखार, कुछ घंटों में 104°F तक बुखार, सिर में दर्द, छाती में दर्द, पार्श्व में दर्द, गाढे चिपचिपे बलगम के साथ बार-बार खांसी जो बहुत खांसने पर मुश्किल से निकलता है। श्वास एवं नाड़ी का अनुपात 1: 2 के लगभग (सामान्य 1: 4), श्वास के समय नथुनों का फूलना व सिकुड़ना, कमजोरी, जीभ रुखी तथा मैली, ललाट पर पसीना, शरीर का अधिक गीला रहना, मुख से कुछ-कुछ बोलना आदि लक्षण एक साथ मिलते हैं।
रोगी को स्वच्छ वायु एवं प्रकाश युक्त कमरे में रखें। रोगी को पूर्ण विश्राम देना चाहिए। खाने को लघु और सुपाच्य भोजन दें। पीने को उष्ण जल तथा फल रस देना चाहिए।
1। त्रिभुवन कीर्ति रस 125 मि.ग्राम दिन में तीन बार शहद के साथ चटाएं।
2।
त्रैलोक्य तापहर 125 मि.ग्राम दिन में तीन बार उष्ण जल के साथ दें।
3। गोरोचनादि वटी 125 मि.ग्राम दिन में तीन बार शहद के साथ चटाएं।
4। श्रृंगभस्म 125 मि.ग्राम+पिप्पली चूर्ण 125 मि.ग्राम शहद में मिलाकर तीन बार चटाएं।
5। श्वासकास चिंतामणि रस 125 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दो बार चटाएं।
6। संजीवनी वटी 125 मि.ग्राम दिन में तीन बार गर्म जल के साथ दें।
7। वृहत वात चिंतामणि रस 125 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद मिलाकर चटाएं।
8। वृहत कस्तूरी भैरव रस 125 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद मिलाकर चटाएं।
9। तालीशादि चूर्ण 1-3 ग्राम शहद या शर्बत वासा में मिलाकर चटाएं।
10। रस सिंदूर 120 मि.ग्राम शहद में मिलाकर चटाएं।
पार्श्व एवं छाती पर दशांगलेप का प्रयोग करें। श्वास कष्ट हो तो आक्सीजन का प्रबंध करें। मुख की स्वच्छता के लिए दशनसंस्कार चूर्ण का प्रयोग करें या स्फटिक के जल से गरारे कराएं।
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