सूर्य नमस्कार कैसे करे - उसके फायदे और सावधानियाँ

सूर्य नमस्कार एक संपूर्ण शारीरिक कसरत है। यह अकेला अभ्यास ही इंसान को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इस अभ्यास से इंसान का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। सूर्यनमस्कार के माध्यम से हम अपने-आपको ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ते हैं। इसे Sun Salutation भी कहते है।

सूर्य नमस्कार करने की विधि - How To Do Surya Namaskar Step By Step In Hindi

यहाँ हम बात करेंगे की सूर्य नमस्कार कैसे करे। इसमें 12 क्रियाएँ अथवा आसन शामिल हैं जो कायाकल्प की शक्ति रखते हैं तथा दीर्घायु प्रदान करते हैं। तथा उसे स्वस्थ व मजबूत बनाता है। शरीर के किसी भाग में छुपे हुए दर्द या अकड़न का सूर्यनमस्कार करते समय पता लग जाता है, भले ही यह शरीर के अंदर के अंग में हो। सूर्य नमस्कार करने की विधि क्रमशः क्रिया दी गयी है-

क्रिया 1

  • अपनी टाँगों को थोड़े अन्तर से रखते हुए दोनों हाथ जोड़कर सीधे खड़े हो जाइए।
  • जुड़े हुए हाथ आपके सीने के मध्य स्थल के लगभग होने चाहिए।
  • पूरी तरह आराम से खड़े रहें, आपके कंधों और बाँहों में कोई तनाव और सख्ती नहीं होनी चाहिए।
  • पूरी तरह तनाव-मुक्त होने के बाद सूर्य की आकृति को ध्यान में लाइए और कल्पना कीजिए कि यह आकृति आपकी दोनों आँखों के मध्य अग्नि-चक्र पर स्थित है।
  • पूरी तरह ध्यान एकाग्र होने पर आपको अपने शरीर में एक हल्की-सी तरंग का अनुभव होगा और साँस अपने आप धीमी होती जायेगी।

क्रिया 2

  • अपने सिर को दोनों बाँहों के मध्य रखते हुए दोनों हाथों को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुए सीधे कर दीजिए।
  • इस मुद्रा को धारण करने के बाद पीछे झुक जाइए। ध्यान रखिए केवल ऊपर का भाग ही झुके, टाँगें सीधी रहें।
  • सिर उतना ही पीछ झुके जितनी बाहें।
  • बाँहों से कान ढके रहें।
  • इस अवस्था में फेफड़ों से हवा पूरी तरह निकल जायेगी।
  • यदि आप लम्बे समय तक इस मुद्रा में रहेंगे तो मंदगति से हल्की-हल्की श्वास चलती रहेगी।

क्रिया 3

  • शरीर को धीरे-धीरे सीधा करते हुए इस मुद्रा को बदलिए।
  • सीधे होते ही हाथ खोल दीजिए और हथेलियों का रुख सामने रखें।
  • इस अवस्था में दो या तीन बार गहरी सांस लीजिए। अब थोड़ा-सा आगे की ओर, फिर नीचे की ओर झुकिए और तब तक झुकते जाइए जब तक आपके हाथ पैरों के बाहरी पार्श्व छूने लगें।
  • इस स्थिति में आपकी टाँगें बिलकुल सीधी रहनी चाहिए, घुटने झुकने नहीं चाहिए तथा साँस बाहर निकालनी चाहिए।
  • यदि इस मुद्रा में बहुत देर तक रुकना हो तो धीरे-धीरे साँस लेते रहिए।
  • यदि आपके हाथ जमीन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो बलपूर्वक जमीन का स्पर्श मत कीजिए।
  • ऐसा करने से आपके कंधे और टांगों में दर्द हो सकता है। नियमित अभ्यास से इस मुद्रा को साधने का प्रयास कीजिए।

क्रिया 4

  • क्रिया 3 में धीरे-धीरे साँस अंदर लेते हुए, एक टाँग व दोनों हाथों पर आहिस्ता से शरीर का वजन लेते हुए तथा दूसरी टाँग पीछे ले जाते हुए मुद्रा बनाइए।
  • आप दाहिना या बायाँ कोई भी पैर आगे या पीछे रख सकते हैं, परन्तु हर बार पैरों की स्थितियाँ (आगे वाला पीछे और पीछे वाला आगे ले जाना) बदलनी चाहिए।

क्रिया 5

  • इस स्थिति में आपका शरीर एक सरल रेखा में आ जाना चाहिए तथा शरीर का पूरा वजन पैरों के अग्रभाग तथा हाथों पर रहना चाहिए।
  • क्रिया 4 से 5 पर आने लिए के अपने शरीर के वजन को हाथों पर साधिए तथा आगे वाली टाँग को भी पीछे के जाइए।
  • अपने शरीर के वजन को दोनों पैरों के अँगूठों तथा हाथों पर लाइए और शरीर को सरल रेखा में साधिए।
  • अपना सिर ऊपर मत उठाइए।

    इसे अपने शरीर की सीध में रखिए। इस मुद्रा में धीरे-धीरे साँस चलता रहेगा।

क्रिया 6 

  • इस मुद्रा को साष्टांग प्रणाम भी कहा जाता है, अर्थात् आठ अंगों से नमस्कार करना। शरीर के आठ अंग इस मुद्रा में जमीन को स्पर्श करते हैं।
  • धीरे से साँस छोड़िए, अपने शरीर को जमीन की ओर झुकने दीजिए, इस प्रकार कि आठ अंग धरती से छूने लगें।
  • इससे पहले वाले आसन में भी चार अंग जमीन से छू रहे थे (दो पैर और दो हाथ)।
  • अब दोनों घुटनों को भी जमीन पर छूने दीजिए तथा वक्ष व माथे को भी जमीन से लगाइए।
  • आपका पेट और जाँघे जमीन से न लगें। ये दोनों भाग जमीन से थोड़े उठे रहें।

किया 7

  • पहली स्थिति से धीरे-धीरे अपना सिर उठाइए, वजन को हाथों पर लीजिए तथा बाँहों को सीधा कीजिए।
  • जितना हो सके अपने सिर को पीछे की ओर झुकाइए, इस अवस्था में आपके फेफड़ों में बहुत कम हवा रह जायेगी अत: देर तक रुकने की स्थिति में धीरे-धीरे साँस लेते रहिए।

किया 8

  • इस स्थिति में शरीर को पहाड़ी की भाँति आकार देना होता है। पहली अवस्था बदलने के लिए धीरे से अपना सिर नीचे कीजिए।
  • शरीर का वजन हाथों और पैरों पर लेते हुए अपने शरीर को बीच से ऊपर उठाइए।
  • सिर दोनों बाँहों के बीच में तथा पैर सीधे रहें।
  • पैरों से नितम्बों तक एक सरल रेखा खींची जाये तो वह सबसे लम्बी हो।
  • नितम्बों से सिर तथा फिर बाँहों तक एक रेखा, नितम्बों से पैरों तक दूसरी रेखा मिलकर जमीन के साथ एक त्रिभुज का निर्माण करें।
  • वजन हाथ और पैरों पर रहे। साँस धीरे-धीरे चलती रहे।

क्रिया 9

  • यह क्रिया चौथी क्रिया की भाँति ही है। बस इसमें टॉगों की स्थिति क्रिया 4 से ठीक विपरीत होनी चाहिए।
  • उदाहरण के लिए यह पहले आसन में दाहिनी टाँग पीछे थी तो इसमें बायीं को पीछे ले जाइए।
  • एक टाँग आगे लाकर इसे घुटने से मोड़िए।
  • दूसरी टॉग पीछे ले जाकर उसका अंगूठा जमीन पर टिकाइए, क्रिया 4 की तरह।
  • अपने सिर को पीछे की ओर झुकाइए।

क्रिया 10

  • यह क्रिया तीसरी क्रिया की भाँति है। पूर्व स्थिति से अपनी तनी हुई टाँग को आगे की ओर लाइए और इसे दूसरे पैर के समानांतर दोनों बाँहों के बीच रखिए।
  • इस विधि में आपका शरीर सीधा उठा होगा और आप आगे की ओर झुके होंगे।
  • अपना सिर घुटनों के निकट रखिए और कम उठाइए।

क्रिया 11

  • यह मुद्रा क्रिया 2 की भाँति है। अपने शरीर को सीधा कीजिए और बाँहें ऊपर की ओर उठाइए।
  • अपने हाथ जोड़िए और पीछे की ओर झुक जाइए। जैसा कि आपने क्रिया 2 में किया था।

क्रिया 12

  • यह सूर्यनमस्कार की अंतिम मुद्रा है जिसमें मुद्रा 1 के समान सीधे खडे होना है।
  • दोनों हाथ उसी तरह जुड़े तथा वक्ष के मध्यस्थल के पास होना चाहिए।

सूर्य नमस्कार करने में क्या सावधानियाँ बरती जाए - Precautions Of Surya Namaskar In Hindi

सूर्य नमस्कार करने में क्या सावधानियाँ बरती जाए इसके बारे मे हमने नीचे विस्तार से बताया गया है।

  • सूर्य-नमस्कार करते समय सूर्य की ओर मुंह किया जाता है।
  • यदि आप सूर्य छुपने के बाद यह क्रिया करना चाहते हैं तो पश्चिम की ओर मुँह रखिए।
  • यदि आपको बुखार, हाई बीपी, ह्रदय रोग जैसी बीमारी हो तो सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • चक्कर आना, मासिक धर्म मे, गर्भावस्था के 4 महीने बाद सूर्य नमस्कार करना ठीक नहीं होता।
  • सूर्य-नमस्कार करते समय मूत्राशय भी खाली होना चाहिए।
  • इस आसन को आप प्रतिदिन बारह बार करें।

    सभी मुद्राओं को एक बार पूरा कर लेने के बाद क्रिया 1 की स्थिति में खड़े होकर थोड़ा-सा विश्राम लीजिए। हो सकता है इन बारह आसनों को स्वत: सरलता से करने की स्थिति में पहुँचने में आपको लम्बा समय लग जाए।

  • अपने आप पर न अधिक दबाव दीजिए, न अधिक थकान की स्थिति में जाइए।
  • धीरे-धीरे अभ्यास से सीखें।
  • सबसे पहले एक-एक मुद्रा को पूरी लगन से सीखने का अभ्यास करें।
  • याद रखिए, क्रिया 1 से क्रिया 12 तक पहुँचने पर आपके पैरों की स्थिति में अन्तर नहीं आना चाहिए।
  • आप लौटकर उसी स्थिति में और उसी स्थल पर खड़े हों जहाँ से आपने आरम्भ किया था।
  • सूर्य-नमस्कार के बाद विश्राम करने के उद्देश्य से शव-आसन में लेट जाइए।

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सूर्य नमस्कार के फायदे - Benefits Of Surya Namaskar Steps In Hindi

अगर हमे सही तरीके से सूर्य नमस्कार रोज करे तो सूर्य नमस्कार के फायदे बहुत है जो निम्नवत है-

  • सूर्य नमस्कार शरीर के आंतरिक अंगों तथा शरीर के बाह्य अंगों को ऊर्जा देता है तथा छुपे हुए रोगों व दर्यों की पहचान कराता है।
  • यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ मस्तिष्क का सामंजस्य स्थापित करता है।
  • इसके नियमित अभ्यास से कब्ज, मासिक धर्म की गड़बड़ियाँ तथा पाचन संबंधी साधारण शिकायतें दूर हो जाती हैं।
  • यह शरीर के स्वास्थ्य में सुधार लाता है तथा स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी इसकी सिफारिश की जाती है क्योंकि यह स्वास्थ्यवर्धक तथा दीर्घायु प्रदान करने वाली है।
  • सूर्यनमस्कार का अभ्यास शक्ति देता है यदि इसे ठीक विधि से प्रतिदिन नियमित बारह बार किया जाए।
  • यदि सूर्यनमस्कार प्रतिदिन 15 मिनट तक नियमित किया जाए तो यह समूचे शरीर को नई जीवनी शक्ति देता है तथा शरीर को किसी भी प्रकार के दबाव, इच्छा या तनाव से मुक्त रखा जाता है। 

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