टीबी रोग कैसे फैलता है और टीबी रोग के लक्षण क्या है आइये जानते है- यह रोग स्त्री, पुरुष, बच्चे, वृद्ध सभी में समान रूप से होता है। परन्तु 45 वर्ष की आयु के बाद यह रोग पुरुषों में तथा 35 वर्ष से कम आयु वाली स्त्रियों में अधिक होता है। कुपोषित बच्चे इस रोग के शीघ्र ही शिकार होते हैं। यह शहरी व ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में समान रूप से पाया जाता है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में यह रोग अधिक होता है। कोयला, ताम्बा, अभ्रक, लोहा, पत्थर आदि की खानों में कार्य करने वाले मजदूरों में अधिक होता है। कुपोषित व्यक्तियों में तथा जिनका खान-पान अत्यधिक ही निम्न स्तर का होता है उनमें यह रोग अधिक फैलता है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस तथा माइकोबैक्टीरियम बोवाइन नामक जीवाणु रोग को फैलाते है। टीबी रोग फैलता है-
जब इस रोग से पीड़ित व्यक्ति छींकते, खाँसते अथवा थूकते हैं तो लाखों की संख्यामें इनके जीवाणु वातावरण (हवा) में फुहार की तरह फैल जाते हैं।
सूखे हुए बलगम अथवा रोगी के इधर-उधर थूकने से भी इसके जीवाणु हवा में फैलजाते हैं तथा इस वातावरण में अगर स्वस्थ व्यक्ति साँस लेता है तो उसको संक्रमण हो जाता है।
अस्वच्छ वातावरण में रहने, संवातन की दुर्व्यवस्था, तंग मकान एवं गलियों तथाअत्यधिक गरीबी से इस रोग का प्रसार होता है। कच्चे दूध के सेवन से यह रोग फैलता है। क्षयरोग से संक्रमित पशु (गाय, बकरी) के दूध पीने से फैलता है।
रोगी के साथ सीधे सम्पर्क से, जैसे—उसके साथ सोने, उठने, बैठने, खाने-पीने से भीस्वस्थ व्यक्ति में यह रोग फैलता है।
रोगी व्यक्ति द्वारा उपयोग में ली गई संक्रमित वस्तुओं के प्रयोग से भी यह रोगफैलता है।
कुपोषण, अधिक श्रम, सीलन भरा, भीड़-भाड़ वाला वातावरण, औद्योगीकरण, बार-बार गर्भपात कराने या गर्भधारण से भी इस रोग का प्रसार होता है।
धूम्रपान, मद्यपान (मदिरा), हुक्का पीने, तम्बाकू आदि भी इस रोग को फैलाने में सहायक होते है।
खुले मे रखी या बाहर का तला भुना खाने से टीबी रोग हो जाता है।
टीबी रोग का पता लगने मे लगभग 4 से 6 सप्ताह का समय लगता है। परन्तु रोग को पनपने एवं जड़ जमाने में कई वर्ष लग जाते हैं।
क्षय रोग की शुरूआत धीमी गति से होती है। टीबी रोग के लक्षण हैं:-
1।
शरीर में शीघ्र थकान होना, हरारत रहना तथा कार्य करने से रुचि हट जाना
2। मध्याह्न के बाद अक्सर हल्का बुखार रहना
3। शारीरिक वजन कम हो जाना
4। पाचन क्रिया अव्यवस्थित हो जाना
5। आवाज परिवर्तित एवं भारी होना
6। धीरे-धीरे भूख में कमी होना
7। छाती में दर्द की शिकायत होना
8। रात में अधिक पसीना निकलना
9। स्त्रियों में माहवारी कम, अनिश्चित अथवा अनुपस्थित होना
फेफड़े में क्षयरोग होने से निरन्तर खाँसी बनी रहती है तथा थूक व बलगम में रक्त आने लगता है। साँस लेने में काफी कठिनाई होती है। जैसे-जैसे रोग की अवधि बढ़ती जाती है वैसे-वैसे व्यक्ति का स्वास्थ्य गिरता जाता है और व्यक्ति मात्र एक नरकंकाल की तरह दिखाई देने लगता है।
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