हेपेटाइटिस ‘B' से बचाव - हेपेटाइटिस ‘B' के कारण और लक्षण
इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको हेपेटाइटिस 'B' से जुड़ी सभी जानकारियों जैसे- हेपेटाइटिस 'B' क्या होता है?, हेपेटाइटिस 'B' के लक्षण, हेपेटाइटिस ‘B' किन कारणों से फैलता है ? जैसी हर जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं ताकि आप इस बीमारी से खुद को एवं अपने बच्चों को बचा सकें।
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हेपेटाइटिस 'B' क्या है? इसकी बहुत सी बाते होती रहती है आइये जानते है, हेपेटाइटिस 'B' एक बहुत ही तीव्र दैहिक संचारी रोग है, जो विषाणु के कारण फैलता है। इस बीमारी को पहले ‘सीरम हेपेटाइटिस' कहा जाता था। हेपेटाइटिस अत्यन्त ही खतरनाक एवं जानलेवा रोग है जिसके कारण पूरे विश्व में प्रति वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है, अर्थात् यह बीमारी एड्स से भी 400 गुणा ज्यादा खतरनाक है।
हेपेटाइटिस 'B' विषाणु ऋणात्मक 20°C पर भी दो वर्ष तक जिन्दा रहता है। हेपेटाइटिस 'B' विषाणु मानव के लिवर में पलते-बढ़ते एवं पनपते हैं, यहीं ये गुणन क्रिया द्वारा वंशवृद्धि करके संक्रमण फैलाते हैं
यही कारण है की 60-80% लोगों में यह विषाणु प्राथमिक लिवर कैंसर का मुख्य कारण बनता है, जिसमे से सबसे ज्यादा बच्चो एवं नवजात शिशुओं को यह रोग शीघ्रता से अपनी चपेट में ले लेता है
हेपेटाइटिस 'बी' से ग्रस्त मरीज के रक्त में 1000 विषाणु होते हैं और उसके थूक तक में भी एक विषाणु होते है। यह बीमारी इतनी संक्रमित है कि सूई पर अगर यह रक्त का (.0004) अंश भी रहने पर, दूसरे में यह बीमारी फैला सकता है।
हेपेटाइटिस रोग से पीड़ित व्यक्ति जब अपना रक्त किसी स्वस्थ व्यक्ति को देता है, तो रक्त के साथ विषाणु स्वस्थ व्यक्ति के लिवर में पहुँच जाते हैं और संक्रमण फैलाते हैं। यह लगभग 45-180 दिन रहता है, और इसका संक्रमण काल कई महीनों तक रहता है।
हेपेटाइटिस ‘B' किन कारणो कारणों से फैलता है आइये जानते है-
- हेपेटाइटिस 'B' मुख्यत: रक्तजनित रोग है, आमतौर पर यह संक्रमित रक्त एवं रक्त उत्पाद से फैलता है।
- जब भी हेपेटाइटिस ‘B' से संक्रमित रक्त या रक्त उत्पाद को किसी स्वस्थ व्यक्ति को रक्त स्थानान्तरण के द्वारा दिया जाता है तो स्वस्थ व्यक्ति भी इस रोग से पीड़ित हो जाता है।
- संदूषित सूई या सीरिंज से फैलता है।
- संक्रमित व्यक्ति के रेजर, टूथब्रश आदि से।
- यदि गर्भावस्था में माता हेपेटाइटिस 'B' विषाणु के संक्रमण से पीड़ित होती है तो उसके शिशु में भी यह रोग हो जाता है।
- माता के शरीर से उसके विषाणु अपरा के माध्यम से शिशु के शरीर में पहुँच जाता है, यदि माता इस रोग की से ग्रसित है तो उसके शिशु को भी यह रोग हो जाता है।
- संक्रमित सूई का उपयोग करके नाक, कान या ओंठ में गोदना गोदवाने से।
- शारीरिक सम्बन्ध से भी इस रोग का प्रसार होता है।
- चर्म रोग जैसे स्केबीज, पीब युक्त फुंसी वाला चर्म रोग, दाद, खाज, खुजली आदि के माध्यम से।
- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति यदि स्वस्थ व्यक्ति के साथ खेलता है, खाता है, रहता है अथवा सोता है तो भी यह रोग होना निश्चित है।
- खतरनाक एवं भयानक माने जाने वाली इस बीमारी के विषाणु म्यून्टेन्ट होते हैं, जिन्हें सामान्य जाँच से पकड़ना सम्भव नहीं है।
- वसायुक्त यकृत भी हेपेटाइटिस का मुख्य कारक है, जिसके कारण लिवर सिरोसिस की बीमारी हो जाती है और साथ ही साथ धीरे-धीरे यह कैंसर में बदल जाती है।
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हेपेटाइटिस ‘B' के लक्षण इस प्रकार से है -
- हेपेटाइटिस 'B' से पीड़ित रोगियों में वे सभी लक्षण देखने को मिलते हैं, जो हेपेटाइटिस 'A' एवं 'C' के कारण उत्पन्न होते हैं, जैसे- बुखार आना, सामान्य कमजोरी, चक्कर आना, उल्टी होना आदि।
- इसके लक्षण उभरने तक लिवर खराब हो चुका होता है।
- हेपेटाइटिस 'B' की स्थिति में रोगी की अवस्था बिगड़ जाती है।
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हेपेटाइटिस ‘B' के बचाव के उपाय है -
- हेपेटाइटिस 'B' एक अत्यन्त ही खतरनाक, गम्भीर एवं जानलेवा रोग है।
- हेपेटाइटिस 'B' का अभी तक समुचित उपचार एवं दवाइयाँ उपलब्ध नहीं हो सका है।
- अत: ‘बचाव' ही इस रोग का बढ़िया इलाज है।
- टीकाकरण द्वारा हेपेटाइटिस 'B' से काफी हद तक बचा जा सकता है।
- लोगो मे जागरूकता उत्पन्न करके इस रोग से बचा जा सकता है।
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वर्तमान में हेपेटाइटिस ‘B' के कई प्रकार के टीके विकसित किये गये हैं। जैसे की -
प्लाज्मा व्युत्पन्न वैक्सीन -
- यह टीका हेपेटाइटिस 'B' वाहित मनुष्य के प्लाज्मा से तैयार किया जाता है। इसकी तीन खुराक दी जाती है। बालकों को बड़ों की अपेक्षा आधी खुराक दी जाती है।
- यह टीका इंजेक्शन के द्वारा अन्त: पेशी में लगाया जाता है।
- अगर कोई व्यक्ति हेपेटाइटिस 'B' के संक्रमण से ग्रस्त है और जल्दी छुटकारा पाने के लिए उसे हेपेटाइटिस 'B' इम्मुनोग्लोबुलिं नामक टीका का प्रयोग करना चाहिए जो की काफी प्रभावी टीका है।
- यह टीका सर्जन, नर्स, प्रयोगशाला, कार्यकर्ता, के माता के गर्भ से उत्पन्न शिशु के लिए काफी लाभदायी एवं प्रभावी है।
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