केसर को संस्कृत में 'कुंकुम', 'घुसृण', ‘अग्निशिरण' नामों से पुकारा जाता है। इसकी खेती भारत में कश्मीर में होती है। विदेशों में फ्रांस, फारस और स्पेन में इसकी खेती की जाती है। कश्मीर में इसकी खेती प्रचुर मात्रा में होती है। यह अत्यंत मूल्यवान जड़ी है। कश्मीर की केसर हल्की, पतली, लाल और कमल के पुष्प की भाँति गंध लिए होती है। यह उच्चकोटि की केसर कहलाती है।
जबकि विदेशों में होने वाली केसर केतकी के फूलों की भाँति गंध लिए भूरे रंग की और मोटी होती है। उसकी गुणवत्ता भारतीय केसर से बहुत नीची होती है। इसका पौधा छोटा होता है। इसके फूलों को सुखाकर केसर बनाई जाती है। इसके पत्ते गोलाई लिए ऊपर की ओर उठे होते हैं।
इसकी तासीर गर्म होती है। यह वीर्य-वर्द्धक है। स्वाद में तीखी और कटु होती है। यह कफ, वात, पित्, को हरने वाली है। मस्तिष्क और हृदय को बल प्रदान करती है। दर्द को रोकती है, रक्त को शुद्ध करती है, स्तम्भन शक्ति प्रदान करती है। पेट के समस्त रोगों में लाभकारी है। ज्वर, दस्त, आँव आदि को रोकती है। शरीर के प्राय: सभी रोगों में यह अत्यंत गुणकारी औषधि का कार्य करती है।
केसर के पानी का मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है। भारत में प्राय: केसर का चंदन बनाकर माथे पर लगाते हैं। केसरिया चंदन बड़ा शुभ माना जाता है।
प्रसव पीड़ा अधिक होने पर केसर की बत्ती बनाकर योनि में रखते हैं। जिससे प्रसव वेदना शांत हो जाती है और बच्चे का जन्म आसानी से हो जाता है।
असली केसर की एक-दो पंखुरी घी में मिलाकर छोटे बच्चों को चटाने से उनके पतले दस्त रुक जाते हैं।
केसर की एक-दो पंखुरी को सुबह-शाम शहद में मिलाकर खाने से पुराने से पुराना अतिसार और आँव खुन आदि रुक जाता है।
केसर की एक-दो पंखुरी और उसी के बराबर दालचीनी को लेकर पीस लें और उसका सेवन पानी के साथ या शहद के साथ करें। दिन में दो बार तीन दिन तक सेवन करने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ निकल जाते हैं और पेट साफ हो जाता है।
केसर को घी में भूनकर सुघने से ही वैसे तो ‘सिर दर्द' गायब हो जाता है। परन्तु यदि आधासीसी' का दर्द हो तो 1 ग्राम केसर, बादाम गिरी 1ग्राम, चंदन का चूरा 1 ग्राम, कपूर, 1 ग्राम सबको गाय के घी में घोट लें और सूंघे तो आधा-सीसी का दर्द गायब हो जाता है।
केसर की पंखुरी को दूध में नित्य पीने से शरीर की शिथिलता दूर हो जाती है,वीर्य की दुर्बलता नष्ट हो जाती है, शरीर स्वस्थ रहता है और स्त्री-सहवास में स्तम्भन का पूर्ण आनन्द प्राप्त होता है।
चेहरे पर केसर का लेप करने से चेहरे का स्याहपन और झाइयाँ दूर हो जाती हैं और चेहरा दमकने लगता है।
जिन माताओं को प्रसव के बाद स्तनों से दूध कम आता हो, उन्हें केसर को पानी में घिसकर स्तनों के अग्रभाग पर लेप करना चाहिए। दूध में वृद्धि हो जाएगी।
केसर और संख्या को समभाग में मिलाकर उनकी भस्म तैयार कर लेनी चाहिए और दूध के साथ सुबह-शाम 1-1 ग्राम नित्य सेवन करना चाहिए। इससे शरीर का कायाकल्प' दूर हो जाता है। शरीर की दुर्बलता जाती रहती है। वृद्ध व्यक्ति भी युवा दिखाई देने लगता है। पेट के समस्त रोगों का नाश हो जाता है। त्वचा चिकनी और चमकदार हो जाती है। सर्दी आदि दूर भाग जाती है। शरीर में जोश और उत्साह भर जाता है।
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