लू लगने के लक्षण और लू लगने पर घरेलु इलाज

गरमी के दिनों में जब तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, तब यह रोग होता है। आक्रमण प्रायः अचानक, तेज बुखार, बेचैनी, मूच्र्छा, चक्कर आना, सांस लेने में परेशानी; त्वचा में जलन, रूखापन, आंख का लाल होना, पसीने का न आना, नाड़ी की दुर्बलता एवं विषमता, तुरंत चिकित्सा न होने से नाड़ी की दुर्बलता व सांस लेने में कठिनाई से रोगी की मृत्यु हो जाती है।

लू लगने पर घरलू इलाज 

मूच्र्छानाशक, रक्तपित्तहर, हृदय को बल देने वाली, पुष्टिकारक व ठंडी औषधियों का प्रयोग करें। वस्त्रों को उतारकर पंखे के नीचे लिटाकर ठंडा उपचार करें। सिर पर बर्फ की थैली रखें। बर्फ के जल में चद्दर निचोड़ कर ओढ़ावें। शावर बॉथ तब तक दे जब तक कि ज्वर कम न हो जाए। प्यास को दूर करने के लिए चंदन घिसा हुआ शीतल जल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बराबर दें।

  • कब्ज हो तो दंती तेल 2 बूंद देकर जुलाब लगाएं। दस्त की दशा में अगस्ति सूतराज रस या कर्पूर रस दें।
  • आम के कच्चे फल का पन्ना पिलाएं।
  • जब शरीर का ताप कम होने लगे और नाड़ी की विषमता बढ़ने लगे तो पसीना लाएं और मृत संजीवनी सुरा का प्रयोग करें।
  • रत्नेश्वर रस 120 मि.ग्राम चंदनादि चूर्ण 240 मि.ग्राम दिन में तीन बार त्रिफला जल के साथ दें।
  • महा शिशिर पानक 10 मि.लि. थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाएं।
  • कामदुधा रस, 120 मि.ग्राम, चंदनादि लौह 120 मि.ग्राम, शतमूल्यादि लौह 240 मि.ग्राम का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • पीने के शीतल जल में उशीरासव थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिलाकर देने से विशेष लाभ होता है।
  • बर्फ के जल की वस्ति भी हितकारी है।

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